दलित नेताओं को रास नहीं आए नीतीश! बोले- हक की आवाज उठाते ही कर दिया बाहर
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और एक बार फिर से दलित वोट को लेकर सियासत तेज हो गई है. सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से दलित कार्ड खेलते रहे हैं. उन्होंने दलित मुख्यमंत्री बनाया, दलित विधानसभा अध्यक्ष भी बनाया और सबसे ज्यादा दलित नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में ही मंत्री भी बने. लेकिन सीएम ने जिसे भी महत्वपूर्ण पद दिया सभी ने उन्हें धोखा दिया. विशेषज्ञ कहते हैं कि राजनीति में महत्वाकांक्षा के कारण लोगों को गलतफहमी हो जाती है. इसी वजह से जीतन राम मांझी ने अलग पार्टी बना ली और उदय नारायण चौधरी ने भी नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया.