New Parliament House के उद्घाटन को लेकर बिहार में विपक्ष आंदोलन पर, बुद्धिजीवियों ने पक्ष और विपक्ष पर उठाए सवाल
पटना:नए संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है. पीएम मोदी ने नए संसद भवन को देश के लिए समर्पित कर दिया है. एक ओर इस पर सियासत जारी है. वहीं दूसरी तरफ लोगों के मन में इसको लेकर क्या चल रहा है. इसको लेकर कुछ प्रबुद्ध लोगों से भी बातचीत की गई. इसके तहत एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के प्राध्यापक डॉक्टर अविरल पांडे का मानना है कि संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. तमाम सांसद कार्रवाई में हिस्सा लेंगे और देश के लिए नीति बनाने का काम करेंगे ऐसे में उद्घाटन समारोह के मौके पर सभी सांसदों को गरिमामय उपस्थिति से नए भवन के उद्घाटन समारोह को चार चांद लगाना चाहिए. एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के सीनियर प्रोफ़ेसर डॉ बीएन प्रसाद ने कहा कि नए संसद भवन का निर्माण किन परिस्थितियों में हुआ यह भी देखने की जरूरत है. क्या देश में सांसदों और राज्यसभा सदस्यों की संख्या बढ़ गई है. वर्तमान परिस्थितियों में देश जब चहुमुखी संकट से जूझ रहा है तो वैसी स्थिति में फिजूलखर्ची का कोई मतलब नहीं है. वहीं बुद्धिजीवी डॉ संजय कुमार का मानना है कि नए संसद भवन को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने-अपने अलग-अलग तर्क हैं. उद्घाटन कैसे कराई जाए इसे लेकर कोई संवैधानिक व्यवस्था नहीं है. लोकसभा अध्यक्ष को फैसला करना होता है. बेहतर तो यह होता कि सभी सांसद विरोध के बावजूद कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लोकतंत्र के मंदिर का मान सम्मान बढ़ाते.