रख रखाव के अभाव में हो रही गायों की मौत, क्यों मौन है प्रशासन?
गाय को माता का दर्जा प्राप्त है. हिन्दू धर्म में वैदिक काल से ही गायों की पूजा करने की परंपरा रही है. इस पशुधन को सहेजने के लिए साल 1916 में शहर के स्टेशन रोड में आदर्श गौशाला की स्थापना की गई थी. इस गौशाला के पास अरबों की संपत्ति और बेहतर कमाई का जरिया मौजूद है. लेकिन यहां रह रही गायें तिल-तिल कर मौत का इंतजार कर रही हैं. समिति के सदस्यों और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की वजह से प्रत्येक महीने एक गाय की मौत हो रही है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 104 साल पहले पशुधन की रक्षा के लिए 22 दिसंबर 1916 में शहर के मुख्य चौक के पास आदर्श गौशाला की स्थापना की गई थी. तब गाय की सेवा पुण्य का काम समझ कर स्थानीय लोगों ने गौशाला के नाम पर कई एकड़ भूमि दान दिया था. इसकी निगरानी की जिम्मेदारी एसडीएम को दी गई थी. लेकिन अब इसका इस्तेमाल पैसा कमाने में हो रहा है