बेतिया:योगापट्टी प्रखंड के मिश्रौली बाजार की रहने वाली शमसुंन नेशां महिलाओं के लिए कभी मिसाल बनी थी, चंपारण से लेकर पटना तक शराबबंदी की रोल मॉडल बनी इस महिला को 16 मई 2017 को अपने शराबी पति को जेल भिजवाने का काम किया था, जिसके बाद वह 26 नवंबर 2017 को शराबबंदी की रोल मॉडल बनी और शमसुंन नेशां को नशा मुक्ति दिवस पर पटना में मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया था.
सरकार ने नहीं मिली अभी तक मदद
शमसुंन नेशां ने पूरे बिहार की महिलाओं को संबोधित कर समाज में महिला ताकत का एहसास कराया था, लेकिन आज शमसुंन नेशां सरकारी सुविधाओं के लिए दर-दर भटक रही है. 2017 में सरकार से लेकर समाज तक इस महिला की जमकर प्रशंसा हुई थी, लेकिन आज इस महिला का दुख दर्द को जानने और समझने वाला कोई नहीं है.
'सरकार की ओर नहीं दी गई कोई सुविधा'
बता दें कि शमसुंन नेशां का पति जेल से बाहर आया, लेकिन कुछ दिनों बाद सदमा में रहने की वजह से उसकी मौत हो गई और शमसुंन नेशां विधवा हो गई, लेकिन आज तक बिहार के रोल मॉडल रह चुकी शमसुंन नेशां को विधवा पेंशन तक नहीं मिला. 2018 से विधवा पेंशन के लिए वह दरबदर भटक रही है. शमसुंन नेशां को आज तक शौचालय नसीब नहीं हुआ. सरकार की ओर से इस महिला को अभी तक आवास नहीं मिला है. जिला से लेकर प्रखंड तक दौड़ लगाती रही, लेकिन आज तक उसे कोई सुविधा स्थानीय प्रशासन की ओर नहीं दी गई.
सरकार से मदद की उम्मीद
शमसुंन नेशां अपने पति को खोने के बाद अपने तीन बेटों के साथ गांव में ही रहती है, शमसुंन नेशां के बेटों ने भी सरकार से अपनी मां के लिए मदद की गुहार लगाई है, उन्होंने कहा है कि हमारी मां ने शराबबंदी में हमारे पिता को जेल भिजवाने का काम किया था, लेकिन आज तक उन्हें सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है. अब देखने वाली बात होगी कि शमसुंन नेशां को सरकार कब तक बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराती है, क्योंकि शमसुंन नेशां जैसी महिलाएं महिला ताकत की स्तंभ है और इन्हीं को देखकर समाज में आधी आबादी कुछ नया कर गुजरती है, ऐसे में सरकार को इस शमसुंन नेशां को हर प्रकार की सहयोग देने की जरूरत है.