बिहार

bihar

ETV Bharat / state

वाल्मीकि नगर में माघ मौनी अमावस्या मेला स्थगित, कोरोना को देखते हुए प्रशासन ने लगायी रोक - West Champaran Magha Mauni Amavasya Mela

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में गंडक नदी तट पर हर साल लगने वाला मौनी अमावस्या माघ मेला (West Champaran Magha Mauni Amavasya Mela) इस साल नहीं लगेगा. जिला प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण को देखते हुए माघ मौनी अमावस्या मेला आयोजन की अनुमति नहीं दी गई है. पढ़ें रिपोर्ट..

माघ मौनी अमावस्या मेला
माघ मौनी अमावस्या मेला

By

Published : Jan 30, 2022, 12:02 PM IST

बगहा:भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में गंडक नदी किनारे त्रिवेणी संगम पर माघ मौनी अमावस्या मेला इस साल नहीं लगेगा. बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से मेला आयोजन करने की अनुमति नहीं (Magha Mauni Amavasya Mela Suspended Due to Corona) दी गयी है. श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान इस पवित्र मौके पर स्नान नहीं कर पायेंगे. लिहाजा दोनों देश भारत और नेपाल के श्रद्धालु निराश हैं.

ये भी पढ़ें- Masik Shivratri Festival 2022: मासिक शिवरात्रि आज, इस तरह करें व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

बता दें कि वाल्मीकि नगर के नारायणी गंडक नदी के तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं. इस दौरान दान-पुण्य की भी परंपरा है. इंडो नेपाल सीमा अंतर्गत गण्डक नदी में सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी नदी मिलती है. लिहाजा प्रयागराज के बाद यह दूसरा बड़ा त्रिवेणी संगम है.

गंडक नदी तट पर प्रत्येक वर्ष मौनी अमावस्या माघ मेला में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है. अहले सुबह से त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. इस दौरान लोग गौ, तिल, चावल, नगदी का दान करते हैं. मान्यता है कि माघ मौनी अमावस्या पर स्नान और दान से मोक्ष मिलता है.

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अंतर्गत नारायणी नदी त्रिवेणी संगम में स्नान करने आने वाले भक्तों के आने का तांता तीन दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता था. दरअसल, माघ मौनी अमावस्या तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

हिमालय के गर्भ से निकली गंडक नदी को नेपाल में शालिग्राम के नाम से जाना जाता है. क्योंकि गंडक नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसके गर्भ में शालिग्राम पाया जाता है. ऐसे में शालिग्राम नदी जिसको गंडक, सप्त गंडकी और सदानीरा के नाम से भी जाना जाता है. वहां स्नान दान का महत्व बढ़ जाता है. माघ माह में पड़ने वाले मौनी अमावस्या पर्व में मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान दान की भी परंपरा है.

लिहाजा यहां भारी संख्या में श्रद्धालु गंडक नदी तट पर पहुंचते हैं और इस दिन स्नान के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र समेत दूध देने वाली गाय का दान कर पुण्य के भागीदार बनते हैं. बता दें कि माघ मास में गोचर करते हुए भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है.

ये भी पढ़ें- RRB NTPC Protest: पटना वाले खान सर बेकसूर या कसूरवार.. जानें बिहार के छात्रों के मन में क्या चल रहा है?

यह भी पढ़ें- RRB NTPC मामले पर बोले सुशील मोदी- छात्रों की मांग मान ली गयी, सियासी दल कर रहे प्रदर्शन, छात्र नहीं

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करेंETV BHARAT APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details