बेतिया: यूं तो अक्सर ही बिहार में सरकारी संसाधनों में अभाव देखने को मिलता है. लेकिन बेतिया के नरकटियागंज नगर परिषद में संसाधन होते हुए भी कैसे उसकी बर्बादी की जा रही है, इसे साफ देखा जा सकता है. यहां शहर को स्वच्छ बनाने के लिए कचरा प्रबंधन के लिए आई डस्टबिन कबाड़ में तब्दील हो गई. ये डस्टबिन कूड़े की शोभा बढ़ा रही है.
सरकारी राशि का बंदरबाट: बता दें कि वर्ष 2020 में लाखों की लागत से गैल्वनाइज डस्टबिन (लोहे के हरे रंग के बड़े डस्टबीन) की खरीद रेवड़ियों की तर्ज पर की गई हैं. अब यह डस्टबिन कूड़ा उठाने के काम नहीं आता बल्कि ये खुद कूड़े में पड़ा है, ये सोच कर कि कोई इसे उठा ले और इसे इसके सही जगह पर पहुंचा दे.
50 हजार रुपए की एक डस्टबिन: बताया गया कि एक डस्टबिन की कीमत लगभग 50 हजार रुपए है और ऐसे 50 से 60 डस्टबिन फेंके हुए हैं, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. नरकटियागंज में विकास के नाम पर सरकारी राशि की लूट की खुली छूट का खेल चरम सीमा पर है. महज 2 साल के भीतर ही वे डस्टबिन खुद कचरे में तब्दील होकर कृषि बाजार समिति प्रांगण में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं.
पैसों की बर्बादी से लोगों में आक्रोश: इसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि ये उनके टैक्स की बर्बादी हो रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनका कहना है कि डस्टबिन सड़कों पर होना चाहिए ताकि कूड़ा डस्टबिन में डाला जा सके. लेकिन यह डस्टबिन खुद कूड़े में पड़ा हुआ है. लोगों ने बताया कि इस पर नगर परिषद के किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है.
नगर परिषद पर भ्रष्टाचार का आरोप: स्थानीय सागर श्रीवास्तव बताते हैं कि नरकटियागंज नगर परिषद भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रहा है. बताया कि विगत तीन-चार साल से यहांं डस्टबिन का खेल चल रहा है. उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों पर सरकारी पैसे का बंदरबाट किए जाने का आरोप लगाता हुए बताया कि पहले प्लास्टिक का डस्टबिन, फिर स्टील का डस्टबिन और फिर लोहे के डस्टबिन के बहाने से हर महीने निविदा होती है और पैसों का घपला किया जाता है.