बगहा:बिहार के बगहा 1 प्रखंड के परसा बनचहरी गांव (Parsa Banchari of Bagaha) में दुर्लभ प्रजाति की मछली (Rare Fish Found In Bagaha) मिली है. यह मछली पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस विचित्र मछली के चार आंख और एरोप्लेन जैसे पंख है. इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है.
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बगहा में मिली दुर्लभ प्रजाति की मछली: जानकार बताते हैं कि इस तरह की मछली दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है. बनारस के गंगा के बाद बगहा के हरहा नदी में मिली सकरमाउथ ( Suckermouth Catfish Found In Haraha River ) अथवा प्लीकॉस्टमस कैटफिश ने लोगों को हैरत में डाल दिया है. बुधवार की सुबह बनचहरी गांव के पास हरहा नदी में मछली मारने के दरमियान मछुआरों के जाल में यह मछली फंस गई थी, जिसको वन विभाग को सौंप दिया गया. बगहा से मिली इस दुर्लभ प्रजाति की मछली को अब एक्वेरियम में शोभा के लिए रखे जाने की तैयारी की जा रही है.
उमड़ी लोगों की भीड़:हरहा नदी से मिली प्लीकॉस्टमस कैटफिश को वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की टीम को सौंप दिया गया है. बताया जा रहा है कि बनचहरी गांव से होकर गुजरने वाली हरहा नहर में अशोक सहनी, हिटलर सिंह, पवन तिवारी और नन्हें सिंह को मछली पकड़ने के दौरान यह विचित्र मछली मिली. इस अजीबोगरीब मछली को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया.
'चंपारण के नदियों के लिए खतरा है प्लीकॉस्टमस कैटफिश': VTR के साथ काम करने वाली संस्था डब्ल्यूटीआई और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (World Wide Fund for Nature) इस मछली को देखकर हैरत में है. WTI के अधिकारियों के मुताबिक नदी के सामने एक नया संकट मछली के रूप में आया है जो यहां से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है. मछली का नाम प्लेकोस्टमस कैटफिश है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्या ने बताया कि यह चिंता का विषय है, क्योंकि यह मांसाहारी है. चंपारण के नदियों के लिए यह खतरनाक है.
"इस प्रजाति की मछली भारत के नदियों में नहीं बल्कि यहां से हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है. लेकिन अब यह मछली यहां भी पाई गई है. यह चिंता का विषय है. यह मछली मांसाहारी है और हमारे इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है."- कमलेश मौर्या, एरिया कोऑर्डिनेटर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ
मछली की चार आंखें और एरोप्लेन जैसे पंख: अजीब सी मुंह वाली मछली साउथ अमेरिका के अमेजन नदी में हजारों किलोमीटर दूर पाई जाती है. इन लोगों ने दावा किया है कि स्थानीय नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र का यह मछली विनाश कर सकती है. अब लोगों के अंदर सवाल उठ रहा है कि आखिर हजारों किलोमीटर दूर साउथ अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाने वाली यह मछली बिहार में कैसे पहुंच गई. इस बाबत कमलेश मौर्या ने बताया कि इस मछली की अपनी अलग पहचान है जिस वजह से लोग इसे एक्वेरियम में पालते हैं. लेकिन एक्वेरियम में काफी छोटी होती है, जबकि नदी में इसका आकार बढ़ गया है. हो सकता है कि किसी ने एक्वेरियम से इसे छोड़ा हो और इसका आकार धीरे-धीरे बढ़ गया हो.
क्या है प्लीकॉस्टमस कैटफिश?:यह मछलीदक्षिण अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है. यह मांसाहारी है. इसे एक्वेरियम में रखा जाता है. लेकिन अगर नदी में छोड़ा जाए तो इसका आकार काफी बड़ा हो जाता है. प्लीकॉस्टमस कैटफिश परिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है क्योंकि यह मछली मांसाहारी है और आसपास के जीव-जंतुओं को खाकर जिंदा रहती है.