पश्चिमी चंपारण: यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित नारायणी-गंडक नदी की बदलती धार ने पीपी तटबंध के हिस्से वाले बांध को क्षतिग्रस्त कर दिया है. शुक्रवार को बांध का आधा से ज्यादा हिस्सा टूटने के बाद अधिकारियों की नींद खुली है. वहीं, कटाव के कारण जिले के ठकराहां प्रखंड के धूमनगर के करीब 15 घर नदी में विलीन हो गये. इन कटाव पीड़ितो में दो परिवार बांध के पूर्वी छोर वाले ऊंचे तट पर सुरक्षित स्थान के पास तंबू तानकर शरण लिए हुए है.
पीपी तटबंध का बांध क्षतिग्रस्त हो गया है. युद्धस्तर पर चल रहा है काम
पीपी तटबंध के हिस्सा वाले अमवा खास बांध पर हो रहे कटाव को लेकर युद्धस्तर पर दिन रात कटावरोधी कार्य किया जा रहा है. वहींं, क्षतिग्रस्त पीपी तटबंध के हिस्सा वाले अमवा खास के समानान्तर बांध को चौड़ा किया जा रहा है. जिससे एक बांध टूट जाने के बाद भी दूसरे बांध से कार्य किया जा सके.
कटाव के बाद किसी तरह गुजारा कर रहा परिवार दोनो प्रदेशों के अधिकारी हैं मुस्तैद
दोनों प्रदेशों के जल संसाधन विभाग और उनके अधिकारी राहत कार्यों में जुटे हुए है. यूपी के कुशीनगर के डीएम लगातार इन जगहों का कैंप कर रहे हैं. कुशीनगर के डीएम ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश जारी है. इस कार्य में सभी लोगों की सहायता ली गई है. उन्होंने कहा कि फिलहाल बांध पर खतरे की कोई आशंका नहीं है.
कटाव के बाद तंबू में रहने को मजबूर परिवार कटाव पीड़ितों की सुध लेने वाला कोई नहीं
जिले के ठकरहा प्रखंड के कटाव पीड़ितो में दो परिवार बांध के पूर्वी छोर पर तंबू तानकर शरण लिए हुए है. पीड़ित शिवजी ने कहा कि प्रशासन हमारी हालत को नजरअंदाज कर रही है. सरकार का कोई भी अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंचा है. उन्होंने कहा सरकार की लापरवाही के कारण उन्हें बांध के पास तंबू बनाकर रहना पड़ रहा है.