बेतिया: भारत-नेपाल सीमा से सटे तराई क्षेत्र में बसे लोग आज भी वर्षों पुरानी परंपरा को जिंदा रखा है. हर साल दोनों देशों के कांवरियों का जुटान(एकत्रित करना) होता हैं. फिर पुरा गफला(जत्था) बीस दिनों की यात्रा पर निकल जाता है. यात्रा में शामिल प्रदीप मिश्र बताते हैं की हर साल दो से तीन सौ कांवरियों का जत्था यात्रा पर निकलता है. इस साल डेढ़ सौ कांवरियों का जत्था यात्रा पर निकला है.
जलाभिषेक के बाद यात्रा होगी खत्म
प्रदीप मिश्र ने बताया कि विटोर के बाद बीस दिनों की यात्रा पर सभी जत्था एक साथ निकल जाता है. इस बार कांवरियों का जत्था त्रिवेणी धाम के लिए निकला है. वहां जल भर कर कांवरियों का जत्था पैदल सड़क मार्ग से पंचमी के दिन आरेराज पहुंच कर सोमेश्वर नाथ महादेव पर जल अर्पित करेंगे. वहीं कांवरिया मैनेजर मलमल यादव ने बताया कि यह यात्रा बीस दिनों की है.