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हाय री मुसीबत! एक तो जान जोखिम में डालकर 'जुगाड़ पुल' को पार करो और ऊपर से दो नजराना - collapse of bridge in West Champaran

लोहे की चादर से तैयार इस पुल को पार करवाने के एवज में लोगों से नजराने के तौर पर 10 से लेकर 50 रुपए लिए जाते हैं. स्थानीय ग्रामीणों और राहगीरों के मुताबिक हर साल बाढ़ के समय यहीं ऐसी ही स्थिति रहती है, लेकिन सरकार और प्रशासन कभी सुध नहीं लेते.

जोखिम भरा रास्ता
जोखिम भरा रास्ता

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Published : Jun 19, 2021, 5:25 PM IST

बेतिया:नरकटियागंज में 'आपदा में अवसर' का मतलब ही बदल दिया गया है. यहां जुगाड़ से तैयार पुल पर लोगों को पार कराने के एवज में मनमाने तरीके से पैसे वसूले जाते हैं. दरअसल बारिश के बाद नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण पुल बाढ़ की चपेट मेंआ गया. ऐसे में चंद स्थानीय लोगों ने वहां लोहे की चादर डालकर पैसे कमाने का तरीका ढूंढ निकाला. विकल्प नहीं होने के कारण राहगीर मजबूर हैं.

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जुगाड़ का पुल, मजबूरी का सहारा
पिछले दिनों हुई जोरदार बारिश के बाद नरकटियागंज-बलथर मुख्य मार्ग के हलतलबी नदी पर बना पुल बाढ़ के चपेट में आ गया. जिस वजह से लोगों के सामने आने-जाने की समस्या खड़ी हो गई. ऐसे में कुछ स्थानीय लोगों ने इस मौके का फायदा उठाया और जुगाड़ का पुल तैयार कर दिया.

देखें रिपोर्ट

लोहे की चादर, कमाई का जरिया
डायवर्जन के पास दो से तीन लोहे की चादर रख दी गई. जिससे होकर लोग गुजरते हैं. पैदल तो लोग जाते ही हैं. साइकिल, बाइक और ऑटो को भी धीरे-धीरे पार कराया जाता है. वैसे तो यह पहल काम की कही जा सकती है, लेकिन यहां लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मनमाने तरीके से पैसे भी खूब वसूले जाते हैं.

नजराना दो, तभी उस पार...
डायवर्जन पर चादर की लोहे से गुजरने के लिए लोगों को नजराना देना पड़ता है. किसी को 10 तो किसी को 50 रुपए देने होते हैं. खास बात ये है कि कई लोगों को तो रोज 2 से 3 बार बाजार या दूसरे काम से जाना होता है. ऐसे मे जितनी बार उधर से गुजरना होगा, उतनी बार वो रकम चुकाना होगा.

'ये तो अब नियति बन गई है'
वहीं, यहां के ग्रामीण से लेकर इस रास्ते से गुजरने वाले राहगीर कहते हैं कि हर साल बाढ़ के समय यही स्थिति होती है. सरकार और जनप्रतिनिधियों को हमारी जरा भी फिक्र नहीं. कभी पानी में उतरकर जाना पड़ता है तो कभी जुगाड़ के पुल पर से जान जोखिम में डालकर जाना पड़ता है. ऐसा लगता है कि अब यही हमारी नियति बन गई है.

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दर्जनों गांवों के लिए परेशानी का सबब
आपको बताएं कि इस रास्ते से होकर नेपाल के साथ-साथ दर्जनों गांवों का सम्पर्क अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय से टूट चुका है. तमाम शिकायत के बाद भी बाढ़ के कारण पुलिया टूटने के बाद ये जुगाड़ लोगों को सहूलियत भरा लगता है.

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