बेतिया: भले ही राज्य सरकार ने सूबे में एक भी उद्योग स्थापित नहीं किया हो, लेकिन बेतिया में एक ऐसा गांव है, जो लघु उद्योग के बेहतरीन नमूने पेश कर रहा है. यहां के बनाए गए बर्तन की चमक सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी प्रसिद्व है. मझौलिया प्रखंड के कसेरा टोला गांव के लोग कई सालों से पीतल के बर्तन बनाने का पुश्तैनी काम कर रहे हैं. लेकिन जिन सुविधाओं की जरूरत यहां के लोगों को है, वह उन्हें नहीं मिल पा रही है.
सैकड़ों साल से बना रहे पीतल के बर्तन
हथौड़ी से बर्तन पीटकर यह अपने पुश्तैनी काम को बचाने और सहेजने की कोशिश में लगे हुए हैं. मझौलिया के कसेरा टोला गांव को पश्चिमी चंपारण का पीतल नगरी कहा जाता है. दशकों नहीं बल्कि सैकड़ों साल से यहां के लोग पीतल के बर्तन बनाने का काम कर रहे हैं. दूसरे उद्योगों ने जरूर कुछ तरक्की की राह पकड़ ली हो. लेकिन कसेरा गांव के लोग आज भी हाथ और हथौड़े से बर्तन बना रहे.