पश्चिम चंपारण (बेतिया):गर्मी मेंपेय जल की समस्या (water crisis in bettiah) से बिहारवासियों को हर साल जूझना पड़ता है. इसके समाधान के लिए सरकार की ओर से कई तरह के कदम उठाने के दावे किए जाते हैं लेकिन नतीजा सिफर ही रहता है. पश्चिम चंपारण जिले के गौनाहा प्रखण्ड के भिखनाठोड़ी गांव (Bhikhnathodi village of Bihar) के लोगों को भी इस चिलचिलाती धूप में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. कई बार ग्रामीण नेपाल (Villagers bring water from Nepal) तक पानी लाने पहुंच जाते हैं लेकिन वहां उन्हें पत्थरोंं से मारा जाता है.
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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी नल-जल योजना: इंडो नेपाल बॉर्डर पर बसे भिखनाठोड़ी गांव की आबादी लगभग दो हजार की है. जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी लगभग 85 किमी है. दशकों से गांव के लोग पानी के लिए तरस रहें हैं. यहां पानी के लिए हाहाकार मचा हैं. कभी नाले का पानी तो कभी झरने का पानी पीने को यह गांव मजबूर हैं.2018-19 में गांव में नल जल योजना से पानी टंकी बैठाई गई. हर घर नल से जल देने के लिए घर घर नल भी लगाया गया. लेकिन यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
पानी के लिए 3 किमी का पैदल सफर: गांव में टंकी लगने और हर घर नल (Har Ghar Nal Se Jal Yojana) पहुंचने के बावजूद गांव वालों को पानी नसीब नहीं हुआ. फिर जिला प्रशासन ने टैंकर से पानी देने की कोशिश की. कुछ दिनों तक पानी मिला लेकिन फिर उसे भी बन्द कर दिया गया हैं. आलम यह है कि ग्रामीण दिन में दो से तीन बार पण्डई नदी में पानी लाने जाते हैं. ग्रामीण तपती धूप में और गर्म रेत पर चलकर प्रतिदिन दो से तीन किमी नदी में जाते है. वहां से पानी डिब्बा और गैलन में लेकर आते है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार इनकी इस परेशानी को नहीं देख रही है.
"नेपाल से आ रहे हैं. वहां से भी पानी नहीं भरने दे रहे हैं. पानी की बहुत समस्या है. नाला से पानी भरना पड़ रहा है. गंदा पानी पीने से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. नेपाल से पानी लाने गए तो वहां भी पत्थर मारा गया. नदी का पानी हम पीकर बीमार पड़ रहे हैं. गांव को नल जल तो मिला है लेकिन वो बंद पड़ा है. पानी नहीं मिल रहा है. ऐसे में हम गंदा पानी पी रहे हैं. पानी लाने में भी दिक्कत हो बहुत दूर से लाना पड़ रहा है."-ग्रामीण महिला