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बाढ़ की चपेट में उत्तर बिहार: हर साल डूबता है आशियाना, रोड बना ठिकाना - flood affected area in bettiah

हर साल की तरह इस साल भी बिहार में बाढ़ ( Bihar Flood ) ने तबाही मचा रखी है. उत्तर बिहार की लाखों की आबादी सालों से बाढ़ का कहर झेल रही है. बाढ़ के कारण कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई को जान से हाथ धोना पड़ता है. ऐसी ही एक तस्वीर आपको दिखाएंगे जहां लोग प्लास्टिक का आशियाना बनाकर जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

बाढ़
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Published : Jun 28, 2021, 4:52 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 5:19 PM IST

बेतिया: 'बिहार में बाढ़' यह वाक्य सुनते ही लोगों के सामने तबाही की तस्वीरें दिखने लगती है. यह मंजर एक बार नहीं बल्कि हर साल देखने को मिलता है. बिहार के बेतिया जिले में बाढ़ने इस कदर तबाही मचा रखी है कि सड़क किनारे तंबू लगाकर खानाबदोश सी जिंदगी बिताना लोगों की नियति बन चुकी है. कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. जिससे लोग बेघर हो गए हैं और सड़क पर ही रहने को मजबूर हो गए हैं.

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बाढ़ में लोग हुए बेघर
बात हम बेतिया जिले के मझौलिया प्रखंड (Majhauliya Block In Bettiah) के रमपुरवा महनवा गांव की कर रहे हैं. जहां सिकरहना और कोहड़ा नदी हर साल कहर बरपाती हैं. जिससे यहां आसपास रहने वाले लोग बेघर हो जाते हैं. पिछले 15 दिनों से सैकड़ों परिवार सड़क किनारे तंबू लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. इन परिवार के लोगों का न खाने का ठिकाना है और न ही पीने के पानी का ठिकाना है.

राष्ट्रीय बाढ़ आयोग की रिपोर्ट.

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सड़क पर बीत रहा दिन और रात
बाढ़ पीड़ितों को सरकारी अस्तर से तो बचाव और सहायता का भरोसा तो मिल रहा रहा है. लेकिन हालात और तस्वीर बयान कर रही है कि इंतजार अभी लंबा है. महना मुख्य पथ पर सड़क किनारे तंबू लगाकर यह बाढ़ पीड़ित दिन-रात बिता रहे हैं. ये लोग मझौलिया प्रखंड के रमपुरवा महनवा पंचायत के नवका टोला के निवासी हैं. जहां हर साल इन्हें बाढ़ की विभिषिका झेलनी पड़ती है. प्रत्येक वर्ष इसी तरह सड़क किनारे महीने भर जिंदगी गुजारनी पड़ती है.

बच्चों को बना रहता है डर
इन बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि वे लोग 15 दिनों से सड़क किनारे तंबू लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चों को सांप, बिच्छू का डर बना रहता है. रात में जब बारिश आती है तो लोगों को डर लगा रहता है कि पानी का बहाव कब सड़क पर आ जाए और सड़क छोड़कर भी जाना पड़ जाए.

बाढ़ के मुख्य कारण.

दाने-दाने के लिए मोहताज हुए लोग
बता दें कि 2 दिन पहले मझौलिया प्रखंड के सीओ गए हुए थे. जब इन बेघर लोगों ने अपने दर्द को सीओ साहब को बताया तो उन्होंने कहा कि यह बाढ़ का पानी नहीं है, बल्कि बारिश का पानी है. बाढ़ पीड़ित दाने-दाने के लिए मोहताज है लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से इन पीड़ितों को कोई मदद नहीं मिला है.

सड़क पर खाना बनाती महिला.

प्लास्टिक का घर बनाकर रहने को मजबूर
बहरहाल जो भी हो यह तस्वीर देखकर लगता यही है कि सड़क किनारे जीवन बसर करना इनकी नियति बन चुकी है. जब भी बाढ़ आता है महीनों यह परिवार सड़क किनारे खानाबदोश की जिंदगी बिताते हैं. बाढ़ पीड़ित इस इंतजार की बाट में बैठे रहते हैं कि सरकार से कोई मदद आएगी. लेकिन प्रशासन इनकी ओर झांकने तक नहीं गया. ये बाढ़ पीड़ित प्लास्टिक तानकर सड़क किनारे अस्थाई घर बनाकर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. लेकिन न तो कोई सरकारी मुलाजिम और न ही कोई जनप्रतिनिधि इनकी सुध लेने आता है.

सड़क पर रहने को मजबूर.

हर साल यही मजबूरी
बता दें कि लगातार हो रही बारिश ने बाढ़ और कटाव पीड़ितों के आशियाने को छीनकर तंबू में सड़क किनारे रहने को मजबूर कर दिया है. इस मजबूरी का दंश इन पीड़ितों को हर साल झेलना पड़ता है. लेकिन इन पीड़ितों के पास सड़क पर तंबू लगाकर रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.

Last Updated : Jun 28, 2021, 5:19 PM IST

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