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पश्चिम चंपारण: 200 लोगों की आबादी वाले नरकटिया गांव में राशन की दुकान तक नहीं - People bring ration by walking nine km from the village

बिहार सरकार द्वारा एक तरफ जहां नागरिकों को सारी सुविधाएं उनके घर तक पहुंचाने की घोषणा की जाती है, तो वहीं पश्चिम चंपारण जिले के सिकटा प्रखंड में एक ऐसा भी गांव है, जहां के ग्रामीण राशन लेने के लिए आज भी 9 किलोमीटर दूरी तय करते हैं. यह गांव धनकुटवा पंचायत के वार्ड नंबर 13 में है. जिसका नाम तुलाराम घाट नरकटिया है.

लोगों के घर का बुझा चूल्हा
बिना राशन के बुझा चूल्हा !

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Published : Dec 14, 2020, 3:49 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 3:45 PM IST

पश्चिम चंपारणः जिले के सिकटा प्रखंड में एक ऐसा भी गांव है, जहां लोग राशन के लिए नौ किमी जाते हैं. इस गांव के लोग एक अदद राशन की दुकान को तरस रहे हैं. यह गांव धनकुटवा पंचायत में है. गांव का नाम तुलाराम घाट नरकटिया है. कहने को इसे वार्ड 13 में रखा गया है, लेकिन यहां पर जन वितरण प्रणाली की एक भी दुकान नहीं है. इस समस्या से निदान पाने क लोग कई वर्षों से तरस रहे हैं.

लोगों को मदद की आस

बरसात में गांव बन जाता है टापू

बरसात के मौसम में इस गांव के लोग गांव में फंस कर रह जाते हैं. कोई भी यहां से निकलने की हिम्मत नहीं करता. क्योंकि गांव के चारों तरफ नदी है. बरसात में बाढ़ आ जाती है. लोगों को डूबने का खतरा सताता रहता है. यहां के निवासियों का कहना है कि राशन लाने के लिए लोगों को पंचायत मुख्यालय धनकुटवा जाना पड़ता है. जिसकी दूरी 9 किलोमीटर है.

देखें पूरी रिपोर्ट

गांव में आंगनवाड़ी केंद्र तक नहीं

जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में आंगनवाड़ी केंद्र तक नहीं है. महिलाओं का कहना है कि आंगनवाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण गांव की महिलाओं को कोई सुविधा नहीं मिलती. अगर किसी बच्चे का जन्म हो या किसी प्रकार की परेशानी हो तो उसे धनकुटवा पंचायत मुख्यालय ही जाना पड़ता है. लोगों ने कई बार प्रखंड में आवेदन भी दिया. लेकिन इस गांव की ओर किसी का ध्यान नहीं है.

लोगों को मदद की आस

लोगों को अब भी विकास की आस

तुलाराम घाट नरकटिया गांव के लोगों को अब भी विकास की आस है. 200 की आबादी वाला यह गांव चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है. बरसात के मौसम में यह गांव टापू बन जाता है. ऐसे में अगर सरकारी नाव आता है, तो ही लोग बाहर जाकर जरूरी सामानों को ले आते हैं. इस गांव में सड़क भी नहीं है, जिस कारण यहां अब तक विकास नहीं पहुंचा.

सरकार से मदद की गुहार

जब यह गांव बाढ़ के कारण टापू बन जाता है तो सरकार हर संभव प्रयास करती है कि इस गांव में जरूरत के हर सामानों को मुहैया कराया जा सके. लेकिन बारहो महीने लोग अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को याद करते हैं. लोग चाहते हैं कि इस गांव में आंगनवाड़ी और जनवितरण प्रणाली की दुकान को खोला जाए. ताकि गांव का विकास संभव हो सके.

Last Updated : Dec 15, 2020, 3:45 PM IST

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