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बगहा: महादलित बस्ती को पानी में छोड़ जातीय जनगणना का राग अलाप रही सरकार

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Published : Aug 2, 2021, 11:42 AM IST

बगहा के बुधवारी टोला के महादलित बस्ती में बारिश से ऐसा जलजमाव हुआ कि लोगों के घर से चार महीने बाद भी पानी नहीं निकला. चूल्हा-चौका तो छोड़िए, लोग घर से निकल कर स्कूलों में शरण ले चुके हैं. जैसे-तैसे जीवनयापन को लोग मजबूर हैं. इनकी एक ही मांग है, सरकार ध्यान दें.

बगहा
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पश्चिम चंपारण (बगहा):बिहार की राजनीतिक (Bihar Politics) गलियारों में इन दिनों जातीय जनगणना (Caste Census) की बात कही जा रही है. माननीयों का दावा है कि इससे पिछड़े और अति पिछड़े लोगों की वास्तुस्थिति समझ आएगी और उनका विकास हो सकेगा. लेकिन बिहार के बगहा (Bagaha) में एक ऐसा गलियारा भी है, जहां चार महीने से पानी जमा है. घरों में पानी घुसा है. मजबूरन लोग घर से दूर एक स्कूल में शरण ले चुके हैं. हजारों कदम चल कर पीने का पानी लाना पड़ता है. ये उन्हीं लोगों में से आते हैं, जिनके लिए जातीय जनगणना कराने की होड़ मची हुई है.

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जानकारी दें कि बगहा के पॉश इलाकों में जलजमाव से अब भी मुक्ति नहीं मिली है. वार्ड 23 के बुधवारी टोला स्थित महादलित बस्ती में विगत चार माह से जलजमाव है. लिहाजा दर्जनों परिवारों ने बगल के सरकारी विद्यालय में शरण ले रखा है. पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनका राशन पानी भीग चुका है. ऐसे में प्रशासनिक मदद अब तक नहीं मिल सकी है. जिस कारण उनकी स्थिति अब बदहाल होने लगी है.

नगर परिषद अंतर्गत वार्ड 21 के बुधवारी टोला स्थित महादलित बस्ती (डोम टोली) के बाशिंदे तकरीबन चार माह से जलजमाव की समस्या से काफी परेशान हैं. दरअसल, जबसे मानसून की बरसात शुरू हुई है, तबसे इनके घर आंगन में पानी लबालब भरा हुआ है. नतीजतन दर्जनों परिवारों ने नजदीक के ही सरकारी विद्यालय को अपना आशियाना बनाया हुआ है.

अब इन पीड़ित परिवारों का कहना है कि जब विद्यालय खुल जाएगा तो वे बच्चों के साथ कहां जाकर शरण लेंगे. बता दें कि बसफोड़वा डोम जाति के चालीस से पचास लोग दर्जनों घरों में रहते हैं. लेकिन प्रतिवर्ष बरसात के मौसम में इनके घरों में आसपास के नालियों का पानी घुस जाता है.

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नतीजतन बरसात का पूरा मौसम इन्हें मुश्किलों से गुजारना पड़ता है. इन ग्रामीणों का कहना है कि इस मर्तबा लंबे दिनों से जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में राशन-पानी का भी संकट गहराने लगा है.

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'कुछ लोग स्कूल में रह रहे हैं. खाना बनाने में परेशानी हो रही है. राशन भी भीग गया है. कपड़े वगैरह भीग गए हैं. पानी में ही रहना पड़ता है. पानी से ही आना-जाना पड़ता है. यह पानी बरसात के कारण जमा है'-इली देवी, स्थानीय

'कोई भी हम पर नजर नहीं डाल रहा है. हमलोगों के बारे में लोग सोचते हैं कि रहने दो जैसे रहते हैं. स्कूल में कुछ लोगों ने शरण ले लिया है. अगर स्कूल खुल जाएगा तो हम कहां जाएंगे. पानी चार महीने से जमा है.'-कुंती देवी, स्थानीय

'जब तक शहर में मास्टर प्लान बना कर ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर नहीं किया जाता, तब तक जलजमाव की समस्या खत्म नहीं होगी. जितना संभव हो पाता है मैं एक जनप्रतिनिधि होने के नाते पीड़ित महादलित बस्ती के लोगों की मदद करता हूं. अब जब पानी निकासी की ही व्यवस्था नहीं है, तो वे जलजमाव को कैसे खत्म कर सकते हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि महादलित बस्ती के लोगों को प्रशासन अपने स्तर से क्या राहत पहुंचा पाती है.'-मोहन साहु, वार्ड पार्षद के पति

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