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बेतिया में गरमाई नप की राजनीति, उपसभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव - कयूम अंसारी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव

नगर परिषद के उपसभापति कयूम अंसारी के विरुद्ध अविश्‍वास प्रस्‍ताव सौंपा गया है. बता दें कि यह प्रस्ताव 13 नगर पार्षदों के हस्ताक्षर कर सौंपा गया है. साथ ही नगर परिषद बोर्ड की विशेष बैठक की तिथि निर्धारित करने की भी मांग की गई है.

उपसभापति कयूम अंसारी
उपसभापति कयूम अंसारी

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Published : Feb 25, 2021, 10:25 AM IST

बेतिया: नगर परिषद के उप-सभापति सह कार्यकारी सभापति कयूम अंसारी के विरुद्ध एक तिहाई 13 नगर पार्षदों के हस्ताक्षर कर अविश्‍वास के प्रस्‍ताव सौंपा गया. जिसके बाद नप की राजनीति में एक और उफान आ गया है. उक्त प्रस्ताव पर चर्चा और मत विभाजन के लिये नगर परिषद बोर्ड की विशेष बैठक की तिथि निर्धारित करने की मांग की गई है.

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उपसभापति कार्यकारी सभापति के रूप में कार्यरत
प्रस्ताव पर निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया, पूर्व नप सभापति जनक साह की पत्नी व पार्षद कुमारी शीला, पूर्व उप सभापति आनन्द सिंह की पत्नी व पार्षद सीमा देवी, नप की सशक्त समिति सदस्य शाहनाज खातून, जरीना सिद्दीकी, रोहित कुमार, मनोज कुमार, प्रभा पांडेय, दीपेश सिंह, कैसर जहां, रीता रवि, श्रीमती देवी, मधु देवी आदि नगर पार्षदों का आरोप है कि नगर परिषद में मुख्‍य पार्षद का पद रिक्‍त रहने से उप सभापति ही कार्यकारी सभापति के रूप में कार्यरत हैं.

अविश्वास प्रस्ताव.

मुख्‍य पार्षद के दायित्‍वों का निर्वहन
बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 27(B) के प्रावधानों के अनुसार उनके माध्यम से मुख्‍य पार्षद के दायित्‍वों का भी निर्वहन किया जा रहा है. उप मुख्‍य पार्षद के रूप में निर्वाचित होने के उपरान्‍त और मुख्‍य पार्षद को पद से हटाया गया है. जिसके बाद दायित्‍वों का निर्वहन किया जा रहा है. उससे नगर परिषद के अधिकांश वार्ड पार्षदों के उनके कार्यकलापों से काफी क्षुब्‍ध होने को अविश्वास लगाने का एक मुख्य कारण बताया गया है.

अविश्वास प्रस्ताव.

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तिथि निर्धारित करने की मांग
आवेदन में यह भी आरोप है कि नगर परिषद के वार्ड पार्षद अपना अविश्‍वास व्‍यक्‍त किया है. साथ ही अविश्‍वास के प्रस्‍ताव पर चर्चा और मत विभाजन के लिए नगर परिषद बोर्ड के विशेष बैठक की‍ तिथि नियमानुसार निर्धारित करने की मांग की है. आवेदन में अविश्वास के अन्य कारणों में नगर परिषद में मुख्‍य पार्षद के हटने के बाद तानाशाही रूख अपनाने का आरोप लगाया गया है. साथ ही बोर्ड में नियमानुसार पूर्व में पारित प्रस्‍तावों की अनदेखी कर अपने कार्यकाल में पारित प्रस्‍तावों में पारदर्शिता न होने, वार्ड पार्षदों के बीच आपस में कटुता पैदा करने का भी आरोप लगाया गया है. इसके अलावा पद का दुरूपयोग कर वित्तीय अनियमितता करने, मनमानी करके नियम के विरुद्ध वित्तीय निर्णय लेने और नगर परिषद क्षेत्र की सफाई और विकास कार्यों का बाधित होने जैसे गंभीर आरोप पार्षदों की ओर से लगाए गए हैं.

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