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बेतिया: सिकटा प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ से प्रभावित, आवागमन बाधित

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Published : Sep 29, 2020, 8:12 PM IST

नेपाल के तराई में हुए भीषण बारिश के बाद सीमांचल की नदियां उफान पर हैं. गंगा, कोसी और महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. जिससे क्षेत्र के ताल-तलैया पूरी तरह पानी से लबालब हैं.

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बेतिया

बेतिया: सिकटा प्रखंड का अधिकांश पंचायत बाढ़ की चपेट में है. कदमवा, महेसड़ा, सोनबरसा, पुरैना, खाप टोला समेत कई पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. इन कई पंचायतों में जाने का कोई रास्ता ही नहीं है. कई गांव टापू में तब्दील हो चुका है. लोग गांव में फंसे हुए हैं. इस गांव में जाने के लिए नाव भी नहीं है. जिसकी वजह से स्थानीय लोग परेशान हैं.

बाढ़ ने मचाई तबाही
सिकटा प्रखंड में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. 2 महीने में दूसरी बार बाढ़ की विभिषिका झेल रहे ग्रामीण पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं. बचा खुचा खेतों में जो फसल था वह इस बाढ़.की भेंट चढ़ गया. गन्ना से लेकर धान तक कोई फसल नहीं बचा. ऐसे में लोग बेहाल व परेशान है. हम पुरैना पंचायत में है. इस पंचायत से दूसरे पंचायत व गांव में जाने का कोई रास्ता नहीं है. पंचायतों में जाने के लिए नाव भी नहीं मिल पा रहा. ऐसे में गांव की स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. लोग गांव में जहां फंसे हैं वहीं पर हैं. उन्हें सरकारी मदद की दरकार है. जिला प्रशासन को चाहिए कि उन बाढ़ पीड़ितों तक सरकारी मदद पहुंचाए और उन पंचायत व गांव की यथास्थिति को जाने कि वहां पर बाढ़ पीड़ित किस स्थिति में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं.
बाढ़ पीड़ितों से बेखबर हैं अधिकारी
बता दें कि सिकटा प्रखंड के कई ऐसे पंचायत है जो बाढ़ में पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं. इन बाढ़ पीड़ितों से मिलने अब तक न ही कोई सरकारी अधिकारी आए और न ही कोई जनप्रतिनिधि पहुंचे हैं. पुरैना पंचायत प्रखंड के आखिरी छोर में है. ऐसे में यहां पर सरकारी मदद पहुंचना बहुत ही ज्यादा जरूरी है. गांव की यथास्थिति कैसी है इसे भी जानना अति आवश्यक है. गांव के लोग गांव से बाहर नहीं आ सकते और बाहर के लोग गांव के अंदर नहीं जा सकते. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों का हाल जानना बहुत ही जरूरी है. उन्हें सरकारी मदद की दरकार है. सरकार उन तक राशन पहुंचाए. चूड़ा मीठा पहुंचाएं और उनकी मदद करें ताकि इन बाढ़ पीड़ितों को कुछ राहत मिले.

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