बगहा: पश्चिम चंपारण के मदनपुर जंगल में विख्यात देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि यहां रहसु गुरु बाघों के गले में सांप की रस्सी लपेट दवंरी (फसलों की मड़ाई) करते थे. यूपी और बिहार से सटे वाल्मीकि टाईगर रिजर्व के मदनपुर जंगल में विख्यात देवी मंदिर है.
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देवी के दर्शन के लिए रोज रात को आता है बाघ: यह मंदिर नेपाल, बिहार और यूपी के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि रहसु गुरु बाघों के गले में सांप की रस्सी लपेट दवंरी (फसलों की मड़ाई) करते थे. आपने वैसे तो बहुत से चमत्कारी मंदिरों के बारे में सुना होगा लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश सीमा पर वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के घने जंगलों के बीच स्थित सिद्धिदात्री मां मदनपुर देवी मंदिर अपने आप में बेहद खास और चमत्कारी है.
मां भगवती के पिंडी रूप के दर्शन:यहां श्रद्धालुओं को मां भगवती के पिंडी रूप के दर्शन होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के इस दरबार में जो कोई भी सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हुए देवी से मन्नतें मांगता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता है. मां मदनपुर देवी का मंदिर बगहा पुलिस जिले से लगभग 17 किलोमीटर दूर मदनपुर वन क्षेत्र के घने जंगलों के बीच स्थित है.
मंदिर के पुजारी ने बतायी पूरी कहानी:मंदिर के पुजारी बलजोर भगत ने बताया कि मदनपुर देवी स्थान कभी राजा मदन सिंह के राज्य के अधीन आता था. यह मंदिर घने जंगलों के बीच स्थित है, जहां राजा कभी कभार शिकार करने के लिए आया करते थे. इसी दौरान राजा को सूचना मिली कि रहषु गुरु नाम के साधु उनके राज्य में जंगलों के बीच बाघ के गले में सांप बांधकर धान की दवनी(मड़ाई) करते हैं. यह बात सुनकर राजा सैनिकों के साथ मौके पर वहां पहुंचे और अपनी आंखों के सामने यह सब देख कर अचंभित हो गए.
"राजा, देवी मां को सामने बुलाने की जिद्द करने लगे. रहषु गुरु ने राजा को बहुत समझाया कि देवी के आने पर उनके राज पाठ का सर्वनाश हो जाएगा, लेकिन राजा ने उनकी एक ना सुनी और अपनी जिद पर अड़े रहे. तब रहषु गुरु ने देवी का आह्वान किया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रहषु गुरु ने देवी का आह्वान किया, तब मां भगवती देवी कामाख्या से चलकर खंडवा में विश्राम करती हुई थावे पहुंची."-बाबा बलजोर दास, मंदिर के पुजारी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार: मान्यताओं के अनुसार देवी के थावे पहुंचने के बाद रहषु गुरु ने एक बार राजा को फिर चेतावनी दी लेकिन राजा नहीं माने. इस दौरान देवी मां भक्त रहषु गुरु के सिर को फाड़ते हुए राजा को अपने हाथ का कंगन दिखाया. यह देख राजा मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़े और फिर कभी नहीं उठे.