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बेतिया में दो किसानों के पास से 'ग्राम रक्षादल' की बंदूकें बरामद, भेजे गए जेल

बेतिया में पुलिस ने पिपरासी थाना के भीलोरवा टोला गांव (Bhilorwa Tola Village) के पास से छापेमारी के दौरान दो किसानों को गिरफ्तार किया. जिनके पास से दो बंदूक भी बरामद की गई.

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Published : Mar 8, 2022, 4:50 PM IST

बेतियाःहोली के त्योहार को देखते हुए पिपरासी पुलिस लगातार शराब के खिलाफ छापेमारी अभियान (Campaign Against Liquor In Bettiah) चला रही है. इसी दौरान सोमवार रात करीब 9:30 बजे थानाध्यक्ष राजीव कुमार सिन्हा के नेतृत्व में पुलिस ने भीलोरवा टोला गांव के पास से दो लोगों को गिरफ्तार किया. जिनके पास से दो बंदूक (Gun Recovered From Farmers In Bettiah) भी बरामद की. गिरफ्तार दोनों शख्स पेशे से किसान बताए जाते हैं.

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बाइक पर तीन लोग थे सवारःसोमवार की रात पिपरासी थानाध्यक्ष राजीव कुमार सिन्हा के नेतृत्व में पुलिस ने भीलोरवा टोला गांव के समीप पीपी तटबंध के केरवनीया सरेह में शराब को लेकर छापेमारी की. इसी दौरान एक बाइक पर तीन लोग सवार होकर दियारा की तरफ आ रहे थे. पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो बाइक चालक बाइक छोड़ कर फरार हो गया. जबकि बाइक पर बैठे दो अन्य लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.


80 के दशक की है बंदूकःगिरफ्तारी के दौरान उनके पास से दो एक नाली बंदूक एक प्लास्टिक के बोरे से बरामद किया गया. बंदूक देखने पर काफी पुरानी लग रही थी. वहीं, मौके से कारतूस की बरामदगी नहीं हुई. थानाध्यक्ष ने बताया कि गिरफ्तार भीलोरवा टोला गांव निवासी नरेश मल्लाह और वीरेंद्र सहनी ने पूछताछ में कहा कि जानवरों से गेहूं की फसल की सुरक्षा के लिए वे लोग खेत में जा रहे थे. ग्राम रक्षादल के दौरान 80 के दशक की यह बंदूक है.

वहीं, मौके पर हीरो स्पलेंडर यूपी 57 एल 0960 बरामद किया गई. इस बाइक का चालक मनोज सहनी फरार हो गया. थानाध्यक्ष ने बताया कि गिरफ्तार लोगों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. जबकि फरार व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है. गिरफ्तार किसानों को जेल भेज दिया गया.

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दस्युओं से बचाव के लिए बना था ग्राम रक्षा दलः स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि 80 के दशक में दस्युओं का आतंक शुरू हुआ था. जो 90 के दशक तक रहा. इस दौरान लोग अपनी सुरक्षा के लिए बनावटी बंदूक रखते थे. गांव में ग्राम रक्षादल भी बनाया गया था. जो पूरी रात गांव में रतजग्गा करके लोगों की सुरक्षा करते थे. इस दौरान बहुत से अवैध बंदूक लोगों ने बनवाई थी. इसकी जानकारी पुलिस को भी रहती थी.

बताया जाता है कि दस्युओं के आतंक की समाप्ति के बाद उन बंदूकों को सरकार ने जमा नहीं कराया था. वहीं, बहुत लोगों ने उन हथियारों को नष्ट कर दिया. लेकिन कुछ लोग उसे अभी तक रखे हुए थे. लेकिन ये बंदूक चलाने योग्य नहीं है.

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