पश्चिमी चंपारण:बगहा की रहने वाली अनु जायसवाल सरकार की उदासीन रवैये से काफी मायूस हैं. 12 वर्ष की उम्र में ऑल इंडिया कराटे चैंपियनशिप अंडर-12 में गोल्ड मेडल जीत बिहार का नाम रौशन किया था. 2017 में नौवीं वर्ग की छात्रा ने नागपुर में आयोजित हुए कराटे और फाइटिंग में बिहार का प्रतिनिधित्व किया और कराटे में स्वर्ण पदक के साथ-साथ मुक्केबाजी में रजत पदक की विजेता रहीं. लेकिन सरकार की ओर से मदद नहीं मिलने पर अनु ने अब खेल को अलविदा कहना बेहतर समझा है.
अनु के पिता बाली जायसवाल की ख्वाहिश थी कि अपनी बेटी को पढ़ाई के साथ-साथ खेल की दुनिया में भी आगे बढ़ाए, ताकि समाज के लिए एक मिसाल कायम हो सके. पान की दुकान चलाकर भरण पोषण करने वाले बाली जायसवाल ने इस सपने को साकार करने के लिए अनु को प्रशिक्षण दिलवाया. कराटे और मुक्केबाजी की दुनिया में भी दाखिला दिलाया, लेकिन उनका सपना अब चकनाचूर हो चुका है.
अनु जायसवाल, गोल्ड मेडलिस्ट सरकार की उदासीनता से मायूसी
अनु के पिता ने कहा कि उनकी माली हालत भी वैसी नहीं है, कि बेटी पर पैसे खर्च कर देश का नाम रोशन करने के ख्वाब पूरा किये जा सकें. सरकार की उदासीनता पर दुख जताते हुए उन्होंने कहा कि यदि खेल मंत्रालय ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद थोड़ी भी मदद की होती, तो उनकी बिटिया कराटे के क्षेत्र में देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करती.
गोल्ड मेडलिस्ट अनु का सपना टूटा
वहीं, गोल्ड मेडलिस्ट अनु का कहना है कि मेरे जैसी बिहार में बहुत सी बेटियां हैं, जिनके ख्वाब अधर में हैं. सरकार ने खेल मंत्रालय तो बना दिया है लेकिन खेल के क्षेत्र में प्रतिभाओं का सम्मान नहीं करती. ना ही खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी दिखाती है. नागपुर में कराटे में गोल्ड मेडल जीत चुकी अनु काफी दुखी हैं. सरकारी उपेक्षा के कारण देश का नाम रोशन करने का सपना टूट गया है. अनु ने अब खेल जगत को ही तौबा करने का फैसला कर लिया है.