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बिहार की ये 4 सगी बहनें हैं कैरम की माहिर खिलाड़ी, जीत चुकी हैं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब - बेतिया की कैरम खिलाड़ी चार बहनें

इन खिलाड़ियों के पिता श्याम किशोर प्रसाद और मां चिंता देवी को अपनी लाडली बेटियों पर नाज है. इन्हें बेटे की जरूरत नहीं है. इनके लिए ये बेटियां ही सब कुछ हैं.

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खिलाड़ी बहनें

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Published : May 27, 2020, 2:03 PM IST

Updated : May 27, 2020, 10:12 PM IST

बेतियाः 'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के' रील लाइफ यानि फिल्म 'दंगल' में आपने ये लाइन जरूर सुनी और देखी होंगी. लेकिन रियल लाइफ की जिन बेटियों की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं वो सचमुच किसी बेटे से कम नहीं हैं. बेतिया के चनपटिया की रहने वाली चार बेटियों ने अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर ये साबित कर दिया है कि बेटियां, बेटे से कम नहीं होती.

चारों बहनों ने जीते हैं कई अवॉर्ड
बेतिया के किसान श्यामकिशोर प्रसाद और उनकी पत्नी चिंता देवी की लाडली बेटियों की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. श्याम किशोर प्रसाद की छ: बेटियां हैं, जिमनें से चार बेटियां ममता, सोनाली नेहा और निशा ने अपनी प्रतिभा के दम पर एक बार नहीं बल्कि कई बार देश और राज्य का नाम रोशन किया है. ये चारों सगी बहनें कैरम चैंपियन हैं. कैरम बोर्ड पर अपनी अंगुलियों का हुनर दिखाने वाली वाली इन चार सगी बहनों ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कई अंतरराष्ट्रीय खेलों में हुई शामिल
इनमें दो बहन ममता कुमारी और निशा कुमारी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर कई जूनियर कैरम प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. जबकि नेहा और सोनाली राष्ट्रीय स्तर पर कई जूनियर प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. 2017 में चेन्नई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय जूनियर कैरम प्रतियोगिता इंडो- मालदीव सीरीज में ममता और निशा इंडिया टीम में शामिल हुई. ममता की कप्तानी में यह सीरीज इंडिया के नाम रही. ममता को इसके लिए बेस्ट प्लेयर ऑफ इंडिया का सम्मान दिया गया.

घर में पढ़ाई करती बहनें

सात बार जीता राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब
इतना ही नहीं 2019 में फिर से दूसरी बार मालदीव में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित हुई. जिसमें इंडो-मालदीव टेस्ट सीरीज में ममता की कप्तानी में यह भी सीरीज इंडिया के नाम रही. इन बहनों ने लगातार सात बार राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब अपने नाम किया है. वहीं, 2019 में नागपुर में आयोजित जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में ममता ने एकल वर्ग और टीम स्पर्धा में पहला स्थान और छोटी बहन सोनाली ने टीम स्पर्धा में पहला स्थान हासिल किया. इसमें ममता और सोनाली को बेस्ट प्लेयर का अवार्ड मिला.

ग्रुप के साथ चारों खिलाड़ी बहनें

बड़ी बहन को देखकर मिली प्रेरणा
इन बहनों की प्रारंभिक शिक्षा चनपटिया से शुरू हुई. चनपटिया में 2006 में हुई राज्य स्तरीय कैरम प्रतियोगिता से प्रभावित बड़ी बहन नेहा ने कैरम खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे नेहा की तीन और बहनें भी कैरम पर अंगुलियां चलाने लगी. कैरम बोर्ड पर अपनी अंगुलियों की हुनर दिखाने वाली इन बहनों का कहना है कि वह आगे भी खेलना चाहती है. देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती. नेशनल फेडरेशन और बिहार स्टेट के जरिए इनका चयन किया जाता है. इन्हें खेलने के लिए देश से लेकर विदेशों तक भेजा जाता है. लेकिन जाने के लिए इन्हें खुद से पैसा देना पड़ता है.

अवार्ड हासिल करती ममता

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घर में बेटों की तरह निभाती हैं जिम्मेदारी
इनके पिता कहते हैं कि मेरी ये चारों बेटियां किसी बेटे से कम नहीं है. यह घर का वह हर काम करती हैं, जिसे एक बेटा करता है. घर से लेकर बगीचे तक अपने पिता का हाथ बंटाती हैं. ताकि घर में बेटे की कमी महसूस ना हो. पिता श्याम किशोर प्रसाद और मां चिंता देवी को अपनी लाडली बेटियों पर नाज है. इन्हें बेटे की जरूरत नहीं है. इनके लिए ये बेटियां ही सब कुछ हैं.

खेतों में पिता का हाथ बंटाती बहनें

प्रशासन और सरकार से नहीं मिली मदद
सवाल उठता है कि जब सरकार खेल के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. तो क्या इन बहनों तक सरकारी अधिकारियों की नजर नहीं पहुंचती. इन्हें अपने देश और विदेशों में भी खेलने के लिए जाना पड़ता है तो खुद के पैसे से जाना पड़ता है. अगर वक्त रहते इन खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं दिया गया तो पैसे के अभाव में शायद इनकी प्रतिभा भी दम तोड़ दे.

Last Updated : May 27, 2020, 10:12 PM IST

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