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Published : Jul 29, 2021, 11:08 PM IST

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International Tiger Day: वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के वनकर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के मौके पर गुरुवार को पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में स्थित वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के वनकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया. वनकर्मियों ने वन विभाग के अधिकारियों के सामने अपना ड्रेस फेंका और जमकर नारेबाजी की.

Forest workers protested
वनकर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन

पश्चिम चंपारण:अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के मौके पर गुरुवार को पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में स्थित वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व (VTR) के वनकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया. वनकर्मियों ने वन विभाग के अधिकारियों के सामने अपना ड्रेस फेंका और जमकर नारेबाजी की. इसके साथ ही वनकर्मी हड़ताल पर भी चले गए.

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वनकर्मियों की हड़ताल के चलते वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के बाघों की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है. वनकर्मियों ने वन विभाग के अधिकारियों पर तानाशाही करने का आरोप लगाया. संविदा पर तैनात दर्जनों वनकर्मियों ने वन विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि वनकर्मी को चोरी का आरोप लगाकर हटाया जा रहा है. आरोप की जांच तक नहीं की जा रह है. वनकर्मियों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है. हमलोगों के साथ गाली गलौज तक की जाती है.

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वनकर्मियों का कहना है कि जब से वाल्मीकि नगर टाइगर में वनरक्षियों की बहाली हुई है तब से किसी ना किसी बहाने गलत आरोप लगाते हुए वनकर्मियों को हटाया जा रहा है. जब यहां वनरक्षी, वनपाल और रेंजर की कमी थी तब हमलोगों ने बाघों की रक्षा की. बिना हथियार के रात-रातभर जान जोखिम में डालकर जंगल और जानवरों की रक्षा की.

"बाघों की संख्या बढ़ने पर वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व को अवार्ड मिल रहा है. क्या यह सफलता सिर्फ अधिकारियों के चलते मिली है? हमलोगों की इसमें कोई भागीदारी नहीं है. अगर हमलोगों के लिए यहां जगह नहीं है तो अधिकारी बता दें. हमलोग चले जाएंगे. वनकर्मियों को चोरी का आरोप लगाकर निकाला जा रहा है. यह गलत है. क्या सभी वनरक्षी दूध के धुले हैं?"- मेघनाथ चौधरी, वनकर्मी

बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 10 साल में बाघ की संख्या 8 से बढ़कर 40 हो गई है. 2010-11 में सर्वे में यहां 8 बाघ देखे गए थे. 2020-21 के सर्वे 40 बाघ देखे गए. बेहतर संरक्षण और पर्यावरण के कारण टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रजनन में सुधार हुआ है. शवकों की मृत्यु दर में कमी आई है. पर्याप्त घास के मैदान होने से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बाघों के लिए सुरक्षित अभ्यारण्य बन गया है.

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