पश्चिम चंपारण: चनपटिया प्रखंड निवासी हारून मियां के परिवार की कहानी छठ पर्व के त्यौहार को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बना देती है. इस परिवार की मां और बेटी एक साथ छठ पूजा करती है जो बिरले ही देखने को मिलता है. इनके लिए महापर्व छठ रोजे से तनिक भी कम नहीं है. दोनों का मानना है कि लोकआस्था का महापर्व छठ धर्म और जाति से ऊपर है.
पश्चिम चंपारण: रोजे से कम नहीं है इस मुस्लिम परिवार के लिए छठ महापर्व - छठ मैया ने पूरी की मन्नत
पश्चिम चम्पारण के चनपटिया प्रखंड के महनाकुली निवासी हारून मियां का परिवार कई सालों से छठ पर्व मनाता आ रहा है. यह परिवार छठ पर्व को रोजा से कम नहीं मानता. इस परिवार का कहना है कि छठ पर्व में कोई मजहब की दीवार नहीं होती. इसे हर धर्म के लोग मना सकते हैं. अपने संतान की सलामती और पुत्र की प्राप्ति के लिए यह मुस्लिम परिवार 17 वर्षों से छठ व्रत करता हैं.
छठ की तैयारी में जुटा मुस्लिम परिवार
चनपटिया के महनाकुली गांव के रहने वाले हारुन का परिवार छठी मैया की पूजा अर्चना की तैयारी में जुट गया है. पूरी पवित्रता के साथ उनकी पत्नी सलीना खातून और पुत्री सहबानू छठ पर्व करती है. इस अवसर पर पूरा परिवार एकत्रित होता है. आसपास के लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है.
छठ मैया ने पूरी की मन्नत
सलीना का कहना है कि शादी के कई सालों बाद चार बेटियों का जन्म हुआ. एक पुत्र की लालसा थी. करीब 17 साल पहले गांव की महिलाओं को अपने घर के सामने से छठ घाट पर जाते देखा, तो उन्होंने भी छठ मैया से पुत्र की मन्नत मांगी. छठ मैया की कृपा से बेटे की किलकारी गूंजी. इसके बाद वह हर साल छठ पर्व करती हैं.