पश्चिमी चम्पारण: बेतिया जिले के मझौलिया में इन दिनों फूलों की खेती पर ग्रहण लग गया है. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लागू किए गये लॉकडाउन की वजह से किसानों में निराशा दिखाई दे रही है. फूल की खेती और उसका व्यवसाय करने वाले लोगों को लॉकडाउन ने बेहाल कर दिया है. लॉकडाउन के कारण ना कहीं पर शादी हो रही है और ना ही कोई अन्य आयोजन, जिसकी वजह से ये फूल खेतों में ही मुरझा जा रहे हैं. फूलों के साथ-साथ उसकी खेती और व्यवसाय से जुड़े लोगों के चेहरे का रंग भी उतर गया है.
बेतिया: लॉकडाउन से 'मुरझाई' फूलों की खेती, मांग नहीं होने से बढ़ी किसानों की मुसीबत - लॉकडाउन में बेतिया के किसानों का हाल
लॉकडाउन में सब्जी, फल और कृषि उपज को ले जाने की तो छूट है, लेकिन फूल जरूरी सेवाओं में नहीं आते हैं. ऐसे में इसकी खेती और व्यवसाय से जुड़े लोगों पर लॉकडाउन का जबरदस्त असर पड़ा है. खेतों में किसानों ने फूलों की कटिंग कर ली है, तो वहीं मांग नहीं होने से व्यवसायी भी निराश बैठे हैं.
लॉकडाउन में सब्जी, फल और कृषि उपज को ले जाने की तो छूट है, लेकिन फूल जरूरी सेवाओं में नहीं आते हैं. ऐसे में इसकी खेती और व्यवसाय से जुड़े लोगों पर लॉकडाउन का जबरदस्त असर पड़ा है. खेतों में किसानों ने फूलों की कटिंग कर ली है, तो वहीं मांग ना होने से व्यवसायी भी निराश बैठे हैं. फूल व्यवसायी राज कुमार शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के चलते इस साल नवरात्रि, रामनवमी और हनुमान जयंती जैसे त्यौहार में भी फूलों की मांग नहीं रही. शादी विवाह और अन्य मुहूर्तों के मुताबिक पहले जो आर्डर मिला था, वो भी रद्द हो रहा है. ऐसे में हमारे सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
'फूल कहां बेचें'?
मझौलिया में फूल के खेती करने वाले राजेश कुमार माली और राकेश माली ने बताया कि इस साल काफी नुकसान हुआ है. फूलों की खेती से ही परिवार का भरण-पोषण होता है. मझौलिया में फूल मालियों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्प्पन हो गयी है. लॉकडाउन के कारण मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे बंद हैं. साथ ही शादी-ब्याह पर भी बैन लगा हुआ है. फिर निराशा से पूछते हैं कि फूल किसे बेचें? छह महीने मेहनत के बाद फूलों की बम्पर फसल हुई थी जिन्हें, अब बर्बाद करना पड़ रहा है.