पं. चंपारण(नौतन): बिहार में बाढ़ का प्रलय अभी थमा नहीं है. बाढ़ का पानी नए इलाकों में लगातार प्रवेश कर रहा है. लोग अपनी जान बचाने के लिए पशु और जरूरत के सामान के साथ तटबंध पर शरण लिये हुए हैं. राहत और बचाव के लिए इलाके में एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया है. लेकिन ग्रामीण उससे भी संतुष्ट नजर नहीं आए.
दरअसल, शिवराजपुर पंचायत के वार्ड नंबर 7 के लगभग 600 बाढ़ पीड़ितों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर सामुदायिक किचन की शुरुआत तो की गई थी. लेकिन उसे कुछ दिनों के बाद ही बंद कर दिया गया. जिससे वे इस संकट की स्थिति में भूखे पेट सोने को मजबूर हैं.
'संक्रमण और बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे ग्रामीण'
स्थानीय लोगों ने बताया कि हमलोग प्रलयंकारी बाढ़ की विभीषिका को झेल रहे हैं. स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होते जा रही है. यहां गांवों से लेकर प्रखंड मुख्यालय के अस्पताल पर सरकारी दफ्तर सब जलमग्न हैं. लोगों के घर में बाढ़ की पानी में डूब चुके हैं. लोगों ने जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर कुछ दिनों तक सामुदायिक किचन जरूर चली. लेकिन बाद में उसे यहां से ट्रांसफर कर दिया गया. बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि वे छोटे-छोटे बच्चे को लेकर तटबंध पर शरण लिये हुए हैं. कई गर्भवती महिलाएं और दिव्यांग भी हैं. ऐसे में रात में कहीं अन्य चल रहे राहत कैंप से भोजन लाना मुमिकन नहीं है. लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.
जिले के कई इलाके बाढ़ की पानी में जलमग्न
स्थानीय मुन्नी देवी, मरछिनिया देवी, शकुंतला देवी और लालमति देवी ने बताया कि हर साल हमलोगों को बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है. इस साल आयी बाढ़ बीते साल से कहीं ज्याद प्रलयकारी है. लोगों ने बताया कि वे बाढ़ के साथ-साथ कोरोना संक्रमण के खतरे के साये में जिने को मजबूर हैं. कोई हमलोगों की सुध नहीं ले रहा है.
खाना बना रही बाढ़ पीड़ित महिला बता दें कि बाढ़ के हालात को देखते हुए डीएम ने बाढ़ पीड़ितों की हर संभव सहायता करने का आदेश भी दिया है. इसके अलावे डीएम ने राहत कैंप और पीएचइडी को उपयुक्त स्थान का चयन कर चापाकल लगाने का भी निर्देश दिया है. राहत कैंप में रह रहे शरणार्थियों की सेहत जांच को लेकर भी कई दिशा-निर्देश दिये है. लेकिन घरातल पर डीएम के निर्देश कहीं नहीं नजर आ रहे है.