पश्चिम चंपारण(बेतिया): बिहार के बेतिया (Bettiah) के मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा पंचायत के बथना गांव में कटाव काफी तेजी से हो रहा है. 3 दिनों से हो रही लगातार बारिश के बाद बूढ़ी गंडक नदी किनारे कटाव हो रहा है. साथ ही गंडक बराज से पानी छोड़ने से नदियां उफान पर हैं. ग्रामीण रात भर जागकर तटबंध की निगरानी कर रहे हैं.
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बथना गांव पर खतरा
ससमय ठोकर का निर्माण नहीं होने के कारण आज गांव के लोग दहशत में हैं. बथना गांव के लोग खुद गांव को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वह नाकाफी है. लोगों का कहना है कि अगर समय रहते तटबंध पर ईंट, पत्थर लगाया जाता तो आज ये नौबत नहीं आती.
'बाढ़ से पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल समेत जिले के कई बड़े अधिकारी निरीक्षण करने आए थे. और निरीक्षण करके चले गए, लेकिन नदी के किनारे ठोकर का निर्माण नहीं हुआ. आज स्थिति यह है कि नदी कटाव कर रही है और जिस तरह से कटाव हो रहा है 1 से 2 दिनों में पूरा गांव तबाह हो जाएगा.'- मकबूल अहमद, स्थानीय
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ग्राउंड जीरो पर पहुंची ईटीवी भारत
बराज से लगातार पानी का डिस्चार्ज किया जा रहा है. इससें वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, गंडक पार का तराई, बगहा, बेतिया और गोपालगंज जिले में बाढ़ की स्थिति हो गई है. गांव के गांव जलमग्न हो रहे हैं.
ईटीवी भारत ने बेतिया के बथना गांव पहुंचकर (Bettiah Ground Report) हालात का जायजा लिया. जिस तरह के हालात बने हुए हैं, ऐसे में लोगों को प्रशासनिक मदद का इंतजार है.
लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है. इलाके के स्कूलों में पानी पहुंच चुका है. फसल पर खतरा मंडरा रहा है.
गांव को बचाने की ग्रामीण कर रहे कोशिश पलायन को मजबूर लोग
नदी के रौद्र रूप को देखते हुए लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है. ऐसे में ग्रामीण ऊंचे स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं. रात भर ग्रामीण तटबंध की निगरानी कर रहे हैं.
'अगर गांव के अंदर पानी प्रवेश कर गया तो लोगों का रहना मुश्किल हो जाएगा. जिला प्रशासन से गुहार लगा कर हम थक चुके हैं. बूढ़ी गंडक नदी की लहर जब गांव के तटबंध से टकरा रही है तो हमारी रातों की नींद उड़ जा रही हैं. हम रात भर तटबंध के किनारे लाठी और टॉर्च लेकर भ्रमण कर रहे हैं. अपने गांव को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.'- फिरोज साह, सरपंच पति
2017 में हुआ था ठोकर का निर्माण
बता दें कि 2017 में जब बथना गांव में बाढ़ आई थी. उस समय ही तटबंध के पास ठोकर का निर्माण हुआ था. उसके बाद से लगातार कई बार इस गांव को बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ी है, लेकिन पक्के ठोकर का निर्माण नहीं हुआ.
गांव को है पक्के ठोकर की जरूरत
ग्रामीणों का कहना है कि अगर ससमय ठोकर का निर्माण हो गया रहता तो आज गांव की स्थिति यह नहीं होती. जिस तरह से नदी कटाव कर रही है, उससे पूरा गांव डरा-सहमा हुआ है.
प्रशासन से मदद की गुहार
ग्रामीण खुद से कटाव को रोकने के लिए तटबंध पर बोरे में बालू भरकर रख रहे हैं, लेकिन तेज धार के आगे यह टीक नहीं पा रहा है. अब ग्रामीण जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. इनका कहना है कि नदी का कटाव जितनी तेजी से हो रहा है, उससे गांव में पानी का प्रवेश बहुत जल्द और तेजी से होगा.
नेपाल में बारिश, बिहार में बाढ़
बिहार में बारिश कहर बरपा रही है. नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र में भी बारिश हो रही है. नेपाल बराज ने मंगलवार रात नौ बजे तक 3 लाख 3 हजार 800 क्यूसेक क्यूसेक पानी छोड़ दिया है. इसकी वजह से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं.