बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बाढ़ का पानी पी चल रही जिंदगी, ग्रामीण बोले- Etv भारत के अलावा कोई नहीं पहुंचा

ग्रामीणों ने कहा कि बाढ़ का पानी पीकर जिंदगी जी रहे हैं. ईटीवी भारत के अलावा कोई भी उनके हालचाल जानने नहीं पहुंचा है. आपने खुद देखा कैसे हम रह रहे हैं.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट
ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

By

Published : Jul 26, 2020, 10:24 PM IST

बेतिया: नेपाल से भारत में प्रवेश करने वाली नदियां दोनों देशों में हो रही बारिश के बाद उफान पर रहती हैं. ऐसे में बिहार में बाढ़ की सबसे बड़ी वजह यही नदियां बनती हैं. इन दिनों नेपाल बॉर्डर से सटा पश्चिमी चंपारण बाढ़ से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है. ईटीवी भारत रिपोर्टर जितेंद्र कुमार गुप्ता ने ग्राउंड से जो तस्वीरें भेजीं, वो बाढ़ का पूरा मंजर दिखा रही हैं.

गांव के गांव जलमग्न नजर आ रहे हैं. जब संवाददाता बेतिया के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचे, तो उन्होंने देखा जहां सड़कें थीं. वहां अब सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. पूरे इलाके का नजारा समंदर जैसा लगा. मुसीबतों से जूझ रहे ग्रामीणों ने खुद की नाव पर उन्हें इलाके का दौरा कराया. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ ईटीवी भारत ही उनकी सुध लेने आया है. अभी तक सरकार की ओर से कोई भी अधिकारी उनका हाल चाल जानने नहीं पहुंचा.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

ग्राउंड रिपोर्ट
बिहार का पश्चिम चंपारण जिला एक तरफ नेपाल, तो दूसरी तरफ यूपी से सटा है. पश्चिम चंपारण की प्रमुख नदिया गंडक, बूढ़ी गंडक, मसान सभी उफान पर हैं. पश्चिम चंपारण के अंतिम छोड़ बगहा में वाल्मीमिकि नगर डैम है. जिसे भैंसालोटन डैम भी कहा जाता है. यह डैम नेपाल से आने वाली तीन नदियों के संगम के ऊपर बनाया गया है. बिहार में जिसे गंडक कहते हैं. नेपाल में इस डैम को नारायणी के नाम से जाना जाता है. यही पर नेपाल का त्रिवेणी शहर है.

जलमग्न गांव

वैसे तो इन इलाकों में हर साल बाढ़ आती है. लेकिन इस वर्ष इस डैम पर जब पानी का दबाव बढ़ा, तो दो बार मे साढ़े आठ लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज करना पड़ा. इसका नतीजा यह रहा कि गंडक और उसकी सहायक नदियों में तूफान आ गया. गंडक नदी पर कई इलाकों में बना बांध टूट गया. गंडक की उफनाती धारा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है. बेतिया के कई इलाकों में जल तांडव मचा रही है.

डूब गय आशियाना

जलमग्न हैं ये इलाके
पश्चिम चंपारण के जिला मुख्यालय बेतिया से करीब 15 किलोमीटर दूर मझौलिया में बूढ़ी गंडक ने भारी तबाही मचाई है. जिला मुख्यालय से सैकड़ों गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है. सबसे हैरत की बात है कि इन इलाकों में अभी तक लोगों का रेस्क्यू करने के लिए ना तो एनडीआरएफ टीम आई है और ना ही और एसडीआरएफ. ऐसे में गांवों तक पहुंचना बहुत कठिन है. लेकिन ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची, तो ग्रामीणों ने जिद कर गांव के हालातों को दिखाने के लिए नाव की व्यवस्था की.

बर्बाद हुई गन्ने की फसल

हालातों का जायजा ले रहे रिपोर्टर के मुताबिक, 'जैसे-जैसे नाव से आगे बढ़ रहे थे, तस्वीरें उतना ही डरा रही थीं. जहां तक नजरें जा रही थीं. सिर्फ और सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा था. जिस जलमार्ग से नाव गुजर रही थी. असल में वो किसानों के वो खेत थे, जो फसलों से लहलाते थे. खेत-खलिहान, स्कूल सब पानी मे डूबे हुए थे. इन सबके बीच कुछ ग्रामीणों को जिंदगी की जद्दोजहद करते हुए भी देखा.'

गंडक का कहर
नाव पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि जिस नदी के पानी से यह तबाही मची है, वो गांव से करीब आठ किलोमीटर दूर है. लेकिन बाढ़ का पानी यहां तक आ पहुंचा है. पानी में काफी करेंट था. हमारी नाव कभी कभी हिलोरे मारने लगती थी. लेकिन ये ग्रामीण काफी हिम्मतवाले थे. क्योंकि हर साल इन्हें ऐसे ही लहरों से लड़ाई करनी होती है.

छतों पर ग्रामीण

मझौलिया प्रखंड के रामपुर महनवा पंचायत के महानवा गांव के हालात दयनीय नजर आए. गांव के सभी घर बाढ़ की चपेट में हैं. ऐसे में ग्रामीण सड़कों पर आश्रय बनाकर एक वक्त का खाना खा रह रहे हैं. इनकी जान तो किसी तरह बच गई है. लेकिन अब जिंदगी को बचाये रखने की जद्दोजहद में लगे हुए है. कुछ महिलाएं सड़क पर सूखी जगह गेंहू को धूप दिखा रही है. लेकिन बात करने पर उनकी आंखों में आंसू आ जाते है.

क्या बोले ग्रामीण
करीमन पटेल कहते हैं कि विधायक, बीडीओ और अधिकारी कोई भी यहां देखने नहीं आता है. ऐसे में हम क्या करें. वहीं, मुखिया राम लखन ठाकुर ने बताया कि जिला प्रशासन तो दूर की बात यहां अंचलाधिकारी भी नहीं आए हैं. कोई छत पर रहा है, तो कई सड़क पर रह रहा है.

अनाज को धूप दिखाती महिलाएं

'सब कुछ डूब गया बाबू'
बाढ़ पीड़ित ठग यादव ने कहा कि बाढ़ के पानी पी रहे हैं. भूजा खा खाकर जिंदगी चल रही है. दूसरी ओर नगिना देवी ने बताया कि सबकुछ डूब गया है. बाढ़ का पानी पी-पीकर बीमार हो रहे हैं. शोभा देवी भी अपनी दास्तां बताते बताते रोने लगती है.

'कोरोना से नहीं, बाढ़ का पानी पीकर मर जाएंगे'
नाव पर सवार गुड्डू यादव ने कहा, 'आप हमारे साथ मौजूद हैं. आपने पूरा हाल देखा. आटा-चावल सबकुछ भींग गया है. ऐसे में महामारी के दौर में हम बाढ़ का पानी पीकर मर जाएंगे. लेकिन जन प्रतिनिधि नहीं आएंगे.'

चारो ओर सिर्फ पानी ही पानी

ग्रामीणों ने जो कुछ कहा, वो सब कैमरे में कैद कर लिया गया. अभी तक बेतिया के महनवा पंचायत में कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा है. सवाल सिस्टम से यही है कि क्या कि कोरोना काल में बाढ़ पीड़ितों को इस तरह नजरअंदाज किया जाएगा. लाखों की लागत लगा, जिन किसानों ने फसलों पर अपना पसीना बहाया. क्या सरकार उनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कोई एहतियाती कदम नहीं उठा सकती.

ABOUT THE AUTHOR

...view details