बिहार

bihar

ETV Bharat / state

पानी-पानी जिंदगी के बीच लोगों की आंखों में पानी, पर सरकार की आंखों में पानी क्यों नहीं? - west champaran news

गांव टापू बन गए हैं. लोग अपने ही घरों में कैद हैं. न खाने का ठिकाना है और न रहने का. कहीं आने जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है लेकिन रात में वो भी नहीं. पश्चिमी चंपारण के कई गांवों के सैकड़ों लोग राहत और मदद के लिए प्रशासन की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं.

flood-
flood-

By

Published : Jul 8, 2021, 9:59 PM IST

पश्चिमी चंपारणःजिले के कई गांवबाढ़ की चपेट (Flood In Many Villages) में हैं. मुख्य सड़क और प्रखंडों से कई गांवों का संपर्क टूट चुका है. सरगटिया पंचायत का बिरहट गांव (Birhat Village) टापू बना हुआ है. इसके साथ ही सिकटा प्रखंड के कई गांव के लोगों के आवागमन के लिए निजी नाव ही सहारा है. बाढ़ की विभीषका झेल रहे ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया है.

इसे भी पढ़ें-बाढ़ पीड़ितों का दर्द: 'चूल्हा और बर्तन सब डूब गए, चार दिन से भूखे-प्यासे हैं बच्चे'

"गांव में आने जाने का रास्ता बंद हो चुका है. निजी नाव ही आने जाने का एकमात्र सहारा है. सरकार की ओर से किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई है. सबसे बड़ी चिंता इस बात कि है कि अगर रात के वक्त गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे वहां से बाहर ले जाने का कोई रास्ता नहीं है. वजह ये कि रात में नाव नहीं चलता."- ग्रामीण

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सिकटा प्रखंड में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि सिकटा प्रखंड मुख्यालय में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. सिकटा प्रखंड से चनपटिया की तरफ जाने के लिए भी नाव ही एकमात्र सहारा है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में ग्रामीणों की सुविधा के लिए एक सरकारी नाव का होना बहुत जरुरी है.

बिहार में लगातार हो रही बारिश के कारण कई जिलों समेत पश्चिम चंपारण कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. चारों तरफ पानी ही पानी है. कई गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. गांव से निकलने का कोई रास्ता ही नहीं है.

इसे भी पढ़ें- आप खूब कर लीजिए वादे..पर यहां राहत शिविरों में दाने-दाने को तरस रहे हैं लोग

बाढ़ में फंसे ग्रामीण सरकार की ओर राहत और बचाव के लिए टकटकी लगाकर देख रहे हैं. चिंता तो तब और बढ़ जाती है, जब बिहार में मौसम में बदलाव के फिलहाल कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details