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पश्चिमी चंपारण: बाढ़ से ग्रस्त ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

पश्चिमी चंपारण जिले के रामनगर और बगहा प्रखंड से होकर गुजरने वाली मशान नदी के तांडव से इलाके के लोगों का जनजीवन बदहाल हो गया है. वहीं, इस बार की बारिश में क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे ग्रामीण परेशान और आक्रोशित है.

West Champaran
बाढ़ से ग्रस्त ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

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Published : Sep 28, 2020, 6:09 AM IST

पश्चिमी चंपारण: जिला के रामनगर और बगहा प्रखंड में रविवार को ग्रामीणों ने सड़क निर्माण और गाइड बांध बनवाने की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार की चेतावनी भी दी है. बता दें, दोनों विधानसभाओं में मशान नदी के तांडव से दशकों से प्रत्येक बरसात में ग्रामीण परेशान होते आ रहे हैं.

देंखे रिपोर्ट.

बाढ़ से परेशान ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार की दी चेतावनी

जिले के रामनगर और बगहा प्रखंड से होकर गुजरने वाली मशान नदी के तांडव से इलाके के लोगों का जनजीवन बदहाल हो गया है. वहीं, इस बार की बारिश में क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे ग्रामीण परेशान और आक्रोशित है. ग्रामीण अब इस बाढ़ और कटाव से निजात के लिए गाइड बांध व सड़क बनवाने की मांग को लेकर अडिग हो गए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि यदि सरकार बांध और सड़क नही बनवाती है तो वे इसबार वोट का बहिष्कार करेंगे.

दशकों से बाढ़ और कटाव की विभीषिका झेल रहे हैं ग्रामीण

बता दें कि इस इलाके के लोग दशकों से बाढ़ और कटाव की विभीषिका झेलते आ रहे हैं और 90 के दशक से मशान नदी पर डैम बनवाने के साथ-साथ सड़क और गाइड बांध बनवाने की मांग उठती रही है, लेकिन उन्हें आश्वासनों के सिवा कुछ नही मिला, ऐसे में जोगिया, शेरवा, देवराज सहित दर्जनों गांव के ग्रामीण अब आंदोलन के मूड में हैं और वोट बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं.

दशकों से बाढ़ और कटाव की विभीषिका झेल रहे हैं ग्रामीण

2 विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव होते हैं प्रभावित

दरअसल, बगहा और रामनगर विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव मशान नदी के प्रलयंकारी बाढ़ से प्रभावित होते हैं. बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव की अधिसूचना भी जारी हो गई है, जिसको देखते हुए ग्रामीण अब आंदोलन के मूड में हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि मुखिया से लेकर विधायक और सांसद तक इस मुद्दे को गंभीरता से नही लेते हैं, ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि ग्रामीणों के इस आंदोलन और चेतावनी का क्या असर पड़ता हैं.

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