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दो वक्त का खाना मिलते ही खुश हुए बाढ़ पीड़ित, रसोईया बोले- नहीं है जरूरी सामग्री

सामुदायिक किचेन में खाना बना रहे रसोईयों के मुताबिक, 'गैस उधार से आई है. अब हम अपने जेब से पैसा लगाकर खाना नहीं बना सकते हैं. ऐसे में अधिकारियों को खुद देखना चाहिए आकर.'

बेतिया से जितेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
बेतिया से जितेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट

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Published : Jul 29, 2020, 6:18 PM IST

पश्चिम चंपारण (बेतिया): बेतिया में 1 लाख 43 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. 9 ब्लॉक की 26 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हैं. इनमें सबसे ज्यादा नौतन, चनपटिया, मझौलिया, पिपरासी, बगहा आदि प्रखंड के पंचायत प्रभावित हैं. प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए कम्युनिटी किचेन की शुरूआत की है. ईटीवी भारत संवाददाता ने इन सामुदायिक रसोई का जायजा लिया है.

जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए 9 सामुदायिक किचन चलाए जा रहे हैं. इससे बाढ़ पीड़ितों को दो वक्त का खाना मिल रहा है. दूसरी ओर, 8 हजार लोगों के बीच सूखा राशन वितरण किया गया है. तो वहीं, तीन हजार लोगों के लिए पॉलिथीन शीट वितरित की गई है. जिले में 49 नाव चलाई जा रही हैं. नौतन प्रखंड के चंपारण तटबंध पर लगभग 600 बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए हैं. ईटीवी भारत ने इन लोगों से बात की है.

बेतिया से जितेंद्र कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
  • मंगलपुर कला और विशंभरपुर गांव के लोगों से ईटीवी भारत ने बात की.
  • बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि उन्हें दो वक्त का खाना मिल रहा है.
  • एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि वो छातीभर पानी से भागकर यहां आईं हैं.
  • सुधा देवी कहती है, 'दाल-भात तरकारी मिल रही है.
  • बीना देवी कहती है, 'सरकारी खाना मिल रहा है.'
    विस्थापित हुए बाढ़ पीड़ित

खुश हैं बाढ़ पीड़ित
बाढ़ की विभिषिका के बीच दो वक्त का खाना मिल जाए, तो इससे अच्छी बात क्या होगी. इस बाबत, बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पिछले 3 दिन से जिला प्रशासन के द्वारा सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. जिसमें 600 लोगों को दो वक्त खाना खिलाया जा रहा है. दाल, भात, सब्जी मिल रही है. बाढ़ पीड़ितों के बीच चुड़ा- मीठा का वितरण किया गया है. जिला प्रशासन की इस पहल से बाढ़ पीड़ित काफी खुश नजर आ रहे हैं.

सूखा राशन मिलते ही खुद पकाया खाना

नहीं मिल रहा है जरूरी सामान- रसोईया
जहां बाढ़ पीड़ित खाना मिलने के बाद खुश नजर आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर रसोईया ने जो कुछ बताया. वो अधिकारियों की लापरवाही बयां करता है. रसोईया की मानें, तो किचन में नमक, हल्दी, तेल और गैस नहीं है. छोटी-छोटी चीज जो खाना बनाने के लिए अति आवश्यक हैं. वो कम पड़ गई है. अभी तक अधिकारियों ने कोई पहल नहीं की है. जैसे-तैसे काम चल रहा है.

चलाया जा रहा सामुदायिक किचेन

कुल मिलाकर, लोग इस बात से खुश हैं कि प्रशासन ने उनके लिए कुछ तो इंतजाम किया है. लेकिन ये इंतजाम कम न पड़े इसको लेकर प्रशासन को लगातार मॉनिटरिंग करने की जरूरत है.

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