रिहायशी इलाके में पहुंचा मगरमच्छ पश्चिम चंपारण:अति संरक्षित जलीय जीवों में से एक मगरमच्छ बरसात के मौसम में अमूमन रिहायशी इलाकों में चला जाता है और लोगों के घरों तक पहुंच जाता है. जो की लोगों के लिए काफी खतरे का सबब है. आखिर मगरमच्छ लोगों के घरों का रुख क्यों करते हैं. इसके बारे में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी ने जो बताया उसे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
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गंडक नदी में हैं मगमच्छों का बसेरा:इंडो नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली गंडक नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल काफी तादाद में रहते हैं. मगर के तीन प्रजाति भारत में पाए जाते हैं. ये , घड़ियाल और एलिगेटर हैं. बिहार के वाल्मीकी टाइगर रिजर्व में दो हीं प्रजातियां पाई जाती है. जिसमें मगर और घड़ियाल शामिल हैं. इसमें भी वीटीआर से गुजरने वाली गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या 500 से अधिक है जो की भारत में चंबल नदी के बाद दूसरे स्थान पर है.
रिहाइसी इलाकों में पहुंच रहे हैं मगरमच्छ: गंडक नदी में मगरमच्छों का भी अधिवास है. लेकिन अमूमन मगरमच्छ रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाते हैं. जबकि घड़ियाल नदी छोड़ ग्रामीण या शहरी इलाकों में जाना नहीं पसंद करते है. क्या अपने सोचा है की आखिर ऐसा क्यों होता है कि मगरमच्छ लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं. जबकि घड़ियाल रिहायशी इलाकों का रुख नहीं करते हैं.
नदी में छोड़ा गया मगरमच्छ जानवर और इंसान के लिए खतरनाक: घड़ियाल बहती हुई पानी में हीं रहते हैं और वे मछली खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ये घड़ियाल आम लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होते हैं. क्योंकि इनकी अक्रमकता महज 10 फीसदी हीं होती है. जबकि मगरमच्छ किसी के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है और ये आसानी से रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं. क्योंकि ये मछली के अलावा बहुत कुछ खाने के शौकीन हैं.
किसी भी तरह के पानी में करता है निवास: वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी सुब्रत बहेरा ने बताया कि मगरमच्छ किसी भी तरह के पानी को अपना अधिवास बना लेता है. जबकि घड़ियाल सिर्फ बहते हुए पानी में रहते हैं. यही वजह है की मगरमच्छ बरसात के दिनों में गंडक नदी से सहायक नहरों में पानी छोड़े जाने के समय विभिन्न इलाकों के नदियों में चले जाते हैं और फिर वहां से पोखर, तालाब और अन्य जलाशयों में शिफ्ट हो जाते हैं. यहीं नहीं यदि घर के अगल बगल में जल जमाव हो तो ये मगर उस जलजमाव वाले जगह को भी अपना ठिकाना बना लेता है.
"मगरमच्छ मछलियों से लेकर पालतू पशुओं समेत इंसान को भी अपना निवाला बना लेते हैं. ऐसे में जब लोग अपने घरों के बाहर अपने मवेशियों को बांधते हैं या जब वे नॉनवेज खाकर उसका हड्डी घर के बाहर फेंकते हैं तो उन हड्डियों की महक को मगरमच्छ सूंघ लेता है और फिर आसपास के जलाशयों से निकलकर वह लोगों के घरों तक पहुंच जाता है."- सुब्रत बहेरा, अधिकारी, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया, वाल्मीकीनगर
घर के आसपास नहीं होने दें जलजमाव: वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी सुब्रत बहेरा ने आगे बताया की इस परिस्थितियों में आम लोगों को चाहिए कि बरसात के समय में अपने घरों के आसपास जलजमाव न होने दें. साथ हीं अपने मवेशियों को घर के बाहर न बांधे और इसके अलावा यदि नॉनवेज यानी मांस मछली खाते हैं तो उसकी हड्डियों को घर के आसपास ना फेंके। नहीं तो बरसात के मौसम में मगर आ जाएगा और फिर परेशानी का सबब बन जाएगा.
गांव से मगरमच्छ का रेस्क्यू: बता दें की बगहा, रामनगर व अन्य वैसे इलाके जिन क्षेत्रों के नहरों और जलाशयों में अभी पानी है, उन इलाकों में मगरमच्छ आए दिन निकल रहे हैं. इसी क्रम में आज बगहा दो प्रखंड स्थित झी नौतनवा पंचायत के टिकुलिया गांव से एक मगरमच्छ का रेस्क्यू किया गया. बताया जाता है की यह मगरमच्छ कई दिनों से तालाब में अपना डेरा जमाया हुआ था और मछलियों को चट कर रहा था.
घर में घुसने की कर रहा था कोशिश: मगरमच्छ आज सुबह तालाब से निकल कर एक व्यक्ति के घर में घुसने की कोशिश कर रहा था. तभी परिजनों ने देख लिया और शोरगुल किया. जिसके बाद ग्रामीण इकट्ठा हो गए और फिर वनकर्मियोंं को इसकी सूचना दी गई. जिसके बाद वनकर्मियों ने मगरमच्छ को पकड़कर उसे नदी में ले जाकर छोड़ दिया.