बेतिया:जिला मुख्यालय से सटे संत घाट से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अधूरे पड़े मथौली जल विद्युत परियोजना का काम पिछले 15 सालों से बंद पड़ा है. 2004 में जब इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस समय आसपास के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी. इस परियोजना का बंद होना सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रहा है.
नई कंपनी को मिला जिम्मा
ग्रामीणों के अनुसार एक नई कंपनी को इस परियोजना का काम शुरू करने का जिम्मा दिया गया है. गांववालों को इस नई कंपनी से भी कोई उम्मीद नहीं है. उनलोगों का कहना है कि 15 सालों से यहां कोई न कोई आता रहता है, लेकिन निर्माण कार्य इसी तरह बंद पड़ा हुआ है.
काम बंद होने की वजह से खराब हो रहे उपकरण 'राज्य सरकार की ओर से नहीं मिली राशि'
वहीं, 15 सालों से इस परियोजना की देखरेख करने वाले गार्ड रामबली महतो ने बताया कि इस परियोजना का काम पूरा करने फरीदाबाद की कंपनी आई थी. शुरुआत में कंपनी को राज्य सरकार की ओर से राशि उपलब्ध कराई गई. लेकिन, काम शुरू होने के बाद बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ. इसी वजह से कंपनी ने काम को रोक दिया. 15 सालों से काम बंद होने की वजह से कई उपकरण सड़ने लगे हैं.
लोगों ने छोड़ी उम्मीद
बता दें कि पश्चिमी चंपारण जिले की इस जल विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली से आसपास के ग्रामीणों को काफी लाभ मिलने की संभावना थी. 15 साल से काम बंद रहने की वजह से लोगों ने उम्मीद भी छोड़ दी है. वहीं, सरकार पर इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां सरकार प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाने का ख्वाब देख रही है, वहीं दूसरी ओर यहां पर काम बंद होने की वजह से उपकरण सड़ रहे हैं.
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