बेतिया:वाल्मीकि टाइगर रिजर्वमें कर्नाटक से लाए गए हाथियों के भोजन के मेन्यू चार्ट में परिवर्तन लाया गया है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने तीन साल बाद उनके डाइट चार्ट में बदलाव किया है. दरअसल, पहले इनको कर्नाटक के आबो-हवा और वहां के भोजन के हिसाब से उनको भोजन दिया जाता था.
हाथियों के डाईट में बदलाव विटीआर के हाथियों का बदला डाइट
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में तीन वर्ष पूर्व जंगल सफारी और वन में गश्ती के लिए कर्नाटक से एक साथ चार हाथी लाए गए थे. जिनको कर्नाटक के जलवायु के हिसाब से भोजन दिया जाता था. अब इन हाथियों के डाइट चार्ट में परिवर्तन किया गया है. प्रबंधन द्वारा इन्हें बिहार के वातावरण के हिसाब से भोजन कराया जा रहा है.
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प्रतिदिन 40 किलो भोजन दिया जाता है
दरअसल, जब इन हाथियों को कर्नाटक से लाया गया था. तो वहां के आबोहवा के लिहाज से धान, गुड़, नमक, हींग, भात, चना और रेडीमेट पौष्टिक आहार दिया जाता था. लेकिन तीन वर्ष बाद जब धीरे धीरे ये हाथी वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के जलवायु में ढल गए हैं. तो अब इन्हें इस इलाके के आबोहवा से जुड़ा 40 किलो आहार प्रतिदिन दिया जाने लगा है. जिसमें पुआल, अजवाइन, मक्का और गेंहू का दर्रा शामिल है. इनके भोजन से गुड़ को हटा दिया गया है और गन्ने की मात्रा बढ़ा दी गई है.
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में कर्नाटक से लाए गए हाथी यह भी पढ़ें: बगहा: न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में उमड़े पर्यटक, होटलों में बुकिंग फुल
हाथियों को दिया गया है प्रशिक्षण
बता दें कि, कर्नाटक से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में लाए गए हाथियों को प्रशिक्षित करने के लिए कर्नाटक से ही चार महावत भी आए थे. जो लगातार तीन वर्षों से इन हाथियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. विटीआर में बाघों की संख्या में इजाफादेखने को मिला है. जिनकी सुरक्षा के लिए गश्ती जरूरी है. लिहाजा इन हाथियों से जंगल मे गश्त लगाई जाती है. और विटीआर के सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी इन गजराज के कंधों पर है. यही वजह है कि इनके बेहतर स्वास्थ्य के अनुकूल ही इनको आहार दिया जा रहा है.