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बेतिया: गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले 'नेपाली' की मनाई गई जयंती - बेतिया न्यूज

गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 को हुआ था. उनकी कई कविताएं काफी लोकप्रिया हैं. नेपाली पत्रकार के रूप में भी कई जगह काम कर चुके थे.

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Published : Aug 12, 2020, 4:41 PM IST

बेतिया: चनपटिया कलम की स्वाधीनता के लिए आजीवन संघर्षरत रहे 'गीतों के राजकुमार' गोपाल सिंह नेपाली की जयंती आर्यसमाज मंदिर के सभागार में साहित्य संगम के बैनर तले मनायी गयी. पश्चिम चम्पारण जिले के बेतिया में 11 अगस्त 1911 को जन्मे गोपाल सिंह नेपाली की काव्य प्रतिभा बचपन में ही दिखाई देने लगी थी.

साहित्य की लगभग सभी विधाओं में पारंगत नेपाली की पहली कविता 'भारत गगन के जगमग सितारे' 1930 में रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा सम्पादित बाल पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. पत्रकार के रूप में उन्होंने कम से कम चार हिन्दी पत्रिकाओं- 'रतलाम टाइम्स', 'चित्रपट', 'सुधा' और 'योगी' का सम्पादन किया.

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर हुए थे प्रसन्न
युवावस्था में नेपाली के गीतों की लोकप्रियता से प्रभावित होकर उन्हें आदर के साथ कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा. उस दौरान एक कवि सम्मेलन में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर उनके एक गीत को सुनकर गदगद हो गए. वह गीत था, 'सुनहरी सुबह नेपाल की, ढलती शाम बंगाल की कर दे फीका रंग चुनरी का, दोपहरी नैनीताल की. नेपाली के गीतों की उस दौर में धूम मची हुई थी लेकिन उनकी माली हालत खराब थी.

भागलपुर रेलवे स्टेशन पर हुआ निधन
गोपाल सिंह नेपाली चाहते तो नेपाल में उनके लिए सम्मानजनक व्यवस्था हो सकती थी, क्योंकि उनकी पत्नी नेपाल के राजपुरोहित के परिवार से ताल्लुक रखती थीं, लेकिन उन्होंने बेतिया में ही रहने का निश्चय किया. 17 अप्रैल 1963 को अपने जीवन के अंतिम कवि सम्मेलन से कविता पाठ करके लौटते समय बिहार के भागलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर गोपाल सिंह नेपाली का अचानक निधन हो गया.

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