पश्चिम चंपारण/नवादा: लोक आस्था और उपासना के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) बड़े ही धूमधाम से सात समंदर पार विदेशों में भी मनाया जा रहा है. बिहार की धरती से दूर रहते हुए भी लोग अपनी संस्कृति को सहेजे हैं. भारतीय मूल के दर्जनों परिवार केन्या व नैरोबी में (Chhath Puja in kenya) एक साथ मिलजुल कर सपरिवार छठ व्रत कर रहे हैं. चार दिनों के अनुष्ठान का निर्वहन करते हैं. कल शुक्रवार काे नहाय खाये के साथ हुए महापर्व की शुरुआत के बाद आज दूसरे दिन खरना का प्रसाद रसियाव रोटी बनाई जा रही है. छठी मईया के गीतों से सराबोर छठ की छठा देखने को मिल रही है.
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केन्या में छठ मनाती महिला.
ऑस्ट्रेलिया में छठ पूजाः ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहने वाले और बिहार के दिनेश ठाकुर अपने घर पर पूरे विधि विधान से खरना का आयोजन किया. मेलबर्न में रहने वाले अन्य बिहारियों ने भी पूरी श्रद्धा के साथ शिरकत की. इनमें समस्तीपुर के दलसिंहसराय के रहने वाले गौतम पांडे और पटना से ताल्लुक रखने वाले विनय कुमार और बेगूसराय के जयराम दास के परिवार वाले भी शामिल हुए.
ऑस्ट्रेलिया में मिलजुल कर मना रहे छठ. सिंगापुर और बहरीन में खरना का प्रसादः बिहार के नालंदा से ताल्लुक रखने वाली और सिंगापुर में पिछले 20 साल से रहने वाली सुमन कुमारी ने भी पूरी श्रद्धा के साथ शनिवार को खरना पूजा से लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को मनाया. गोपालगंज से ताल्लुक रखने वाले रंजन कुमार के परिवार ने भी बहरीन की राजधानी मनामा में पूरी श्रद्धा के साथ खरना का प्रसाद तैयार किया. रंजन कुमार का परिवार करीब 20 साल से बहरीन में रहता है.
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बहरीन में छठ मना रहे प्रवासी बिहारी. अमेरिका से नवादा पहुंचीः छठ महापर्व में शामिल होने के लिए कष्ट झेलकर और बड़ी राशि खर्च कर लोग घर पहुंच रहे हैं. विदेश में रहने वाले भी परिवार के साथ घर आ रहे हैं. सात समुंदर पार अमेरिका से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व मनाने को लेकर मोनी सिंह नवादा पहुंची है. उनके साथ उनका छह वर्षीय पुत्र बुंदेलखंड निवासी पति धीरज कुमार सिंह भी हैं.
अमेरिका से छठ मनाने अपने गांव पहुंची. अपनी माटी में आकर छठ करने का उत्साहः मोनी सिंह ने बताया कि अमेरिका में भी छठ पर्व कर सकती थी, मगर वहां नवादा जैसी सुख सुविधा नहीं मिल पाती. अपनी माटी में आकर छठ करने का एक अलग उत्साह रहता है. मोनी सिंह ने कहा कि छठ में इतनी ताकत होती है कि हर श्रद्धालु अपने गांव अपने शहर अपने घर किसी तरह से लौट ही आता है. उन्होंने पिछले वर्ष छठ की शुरुआत की थी. मन्नत पूरी होने पर वह दूसरी बार छठ के लिए नवादा पहुंची है. उनके पुत्र ने बताया कि सूर्य भगवान ही संसार के तारणहार हैं. नन्हे बालक ने अंग्रेजी में कहा कि भारत की माटी, बिहार की माटी में छठ पर्व मनाने का एक अलग उत्साह है.
"अमेरिका में भी छठ पर्व कर सकती थी, मगर वहां नवादा जैसी सुख सुविधा नहीं मिल पाती. अपनी माटी में आकर छठ करने का एक अलग उत्साह रहता है"-मोनी सिंह, छठ व्रती
"केन्या, सिंगापुर समेत दक्षिणी अफ्रीका के कई इलाकों में भारतीय मूल के लोग इस पर्व को काफी आस्था से मनाते हैं"-रूबी देवी, छठ व्रती