पश्चिम चंपारण: बिहार इन दिनों बाढ़ ( Flood In Bihar ) की चपेट में है. इन दिनों विभिन्न जिलों से आने वाली तस्वीरें उदास करने वाली हैं. कहीं कोई मरीज को खाट पर लाद कर अस्पताल ले जा रहा है तो कहीं सैलाब ने जिंदगी को मुश्किल बना दिया है. पश्चिम चंपारण से जो तस्वीर सामने आयी है, उसे देखकर डर लग रहा है. लोग सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि घर से बाहर निकले या नहीं.
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पश्चिम चंपारण में नदियों में उफान आ गया है. गंडक, सिकरहना समेत पहाड़ी नदियों ने एक बार फिर तांडव मचाना शुरू कर दिया है. सड़क संपर्क भंग होने के कारण कई हृदय विदारक तस्वीरें भी सामने आ रही है. जिले के रामनगर प्रखण्ड के पथरी गांव में एक युवक का पैर टूट गया तो उसे परिजन खाट पर इलाज के लिए ले गए.
कई सड़कों का मुख्यालय से टूटा सम्पर्क
दरअसल बाढ़ की वजह से रामनगर प्रखण्ड की कई सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है. इससे इनका मुख्यालय से सम्पर्क टूट गया है. इस कारण लोगों का बाहर निकालना भी मुश्किल हो गया है. डुमरी गांव के अमित का पैर टूटने पर लोग टैंपों की सीट पर बैठाकर जड़ी बंधवाने के लिए उसे वैद्य के पास लेकर जाया जा रहा था.
पंडई नदी का रौद्र रूप
बता दें कि पूरे बिहार में रुक-रुककर हो रही बारिश से पश्चिम चंपारण जिले की कई नदियां उफान पर हैं. जिले के गौनाहा में एक बार फिर पंडई नदी (Pandai River) ने अपना रौद्र रूप दिखाया है. पंडई नदी का कहर गौनाहा प्रखंड के कई गांवों में देखने को मिल रहा है. कई गांव टापू बने हुए हैं. लगातार हो रही मूसलाधार बारिश (Heavy Rain) की वजह से पंडई नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
बाढ़ के पानी से टापू बना चतुर्भुजवा गांव
जिले के नरकटियागंज बनवरिया पंचायत के चतुर्भुजवा गांव का प्रखण्ड मुख्यालय से संपर्क भंग हो चुका है. हजारों की आबादी वाला यह गांव टापू में तब्दील हो गया है. सड़क पर दो किलोमीटर तक चार-पांच फीट पानी बह रहा है. जिससे सैकड़ों एकड़ खेत का फसल बाढ़ ( Flood In Bihar ) से प्रभावित है. हड़बोड़ा, बलोर और रामरेखा नदी ( Ramrekha River) की रौद्र रूप से चतुर्भुजवा गांव टापू बन गया है.
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बाढ़ ग्रस्त इलाकों में मुश्किल में जिंदगी
फिलहाल, बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पानी कितना गहरा है यह तय कर पाना आसान नहीं है. पानी के कारण गड्ढों और सड़को में अंतर पता नहीं चल पा रहा है. ऐसी स्थिति में बाढ़ से लोग सुरक्षित बच कर कैसे निकले यह एक बड़ी चुनौती है. सुरक्षित बच भी गए तो जिंदगी फिर से उसी तरह पटरी पर कैसे लाए यह भी उनके लिए बड़ी समस्या है.
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