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खेत में काम कर रहे युवक पर भालू ने किया हमला, चबा गया सिर और हाथ

पश्चिमी चंपारण के बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) से आए एक भालू ने एक युवक पर हमला बोल दिया. इस हमले में युवक बुरी तरह जख्मी हो गया है. हाथ और सिर को भालू ने चबा लिया है. फिलहाल उसका इलाज चल रहा है.

भालू
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Published : Oct 2, 2021, 6:03 PM IST

पश्चिम चंपारण: बगहा के रामनगर प्रखंड के परसौनी गांव में भालू के हमले में एक युवक बुरी तरह जख्मी हो गया. दरअसल, युवक खेत में गया था. तभी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) से आए भालू ने उस पर हमला बोल दिया. उसके सिर और हाथ को चबा गया. परिजनों ने तत्काल उसे रामनगर प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. जख्मी युवक की पहचान रामनगर प्रखंड परसौनी गांव निवासी 32 वर्षीय लालबाबू महतो के रूप में हुई है.

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बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से आए दिन जंगली जानवर रिहाइशी इलाकों में घुसकर आतंक मचा रहे हैं. इसी दौरान शनिवार की सुबह VTR वन क्षेत्र से सटे जंगल के गोबर्द्धना वन सीमा में भालू ने एक युवक पर हमला बोल दिया. बताया जा रहा है कि लालबाबू घास काटने के लिए बरवा बैरिया सरेह में गया था. वहीं खेत में छुपे भालू ने हमला बोल दिया.

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इस हमले में युवक का बायां हाथ पूरी तरह से भालू ने काट लिया है. इस दौरान छाती और पीठ पर भी गंभीर रूप से चोटें आई हैं. डॉक्टर ने बताया कि भालू ने युवक के सिर की हड्डी को भी चबा लिया है. नतीजतन प्राथमिक उपचार के बाद उसे जीएमसीएच रेफर कर दिया गया है.

परिजनों के मुताबिक जब भालू ने युवक पर हमला किया तो इस दौरान गांव के कुछ लोग घटनास्थल पर पंहुच गए. शोर सुनकर भालू भाग गया. जिससे उसकी जान बच गई. ग्रामीणों ने वन विभाग पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा है कि जंगली जानवरों द्वारा हमला किये जाने के बाद इस तरह की घटित घटनाओं पर वन विभाग मुआवजा भी नहीं देता है.

ग्रामीणों के मुताबिक 25 जुलाई को भी भालू ने एक युवक पर हमला बोल घायल कर दिया था. उस वक्त भी भालू के हमले से उसका सिर, छाती और पीठ गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. जिसके बाद गंभीर स्थिति में बेतिया में इलाज कराया गया.

महीनों इलाज कराने के बाद युवक ठीक हो सका. लेकिन वन विभाग ने अब तक ना तो मुआवजा ही दिया और ना ही उसकी सुधि ही ली. ऐसे में ग्रामीण सांसत में हैं. उनका कहना है कि वन्य जीवों को अपनी जान की रक्षा करते समय मार भी नहीं सकते. क्योंकि ऐसा करने पर वन विभाग मुकदमा कर देता है. लेकिन जब इंसान के साथ घटना घटती है, तो विभाग इसको लेकर गम्भीर नहीं होता.

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