बेतिया: एक ओर जहां चमकी बुखार को लेकर अस्पतालों को दुरुस्त करने की बात कही जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ यहां के अनुमंडलीय अस्पताल का हाल खस्ता नजर आ रहा है. हैरत की बात है कि इस चमकी बुखार से निबटने के लिए अस्पताल प्रशासन अभी तक सोया हुआ है.
लाखों लोग इस अस्पताल पर निर्भर
बगहा अनुमंडल के लाखों लोग इस अस्पताल पर निर्भर हैं. ऐसे में इस अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां सिर्फ छोटी-मोटी बीमारियों की जांच ही की जाती है. अगर कभी कोई बड़ी बीमारी को लेकर कोई मरीज आता है, तो उसे दूसरे बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. विडंबना ये है कि मरीजों की देखभाल के लिए न तो कोई नर्स है और न ही कोई डॉक्टर. यहां परिसर में मवेशियों की सोने की जगह बन गई है.
बेतिया के अस्पताल का है खस्ता हाल बदबू से परेशान मरीज
परिजनों का कहना है कि नजदीक में अस्पताल होने के कारण इलाज के लिए यहां आना पड़ता है. इस अस्पताल में कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में डॉक्टरों की बहुत कमी है. मरीजों की मानें तो अस्पताल में बदबू से लोगों का जीना मुहाल है.
अस्पताल उपाधीक्षक ने कबूली कमी
वहीं, अस्पताल उपाधीक्षक एके वर्मा ने बताया कि इस अस्पताल में 60 बेड होने चाहिए. लेकिन पूरे नहीं है. चमकी से निबटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां मरीजों की ड्रेसिंग कंपाउंडर करते हैं. इससे अनुमान लगा सकते हैं कि यह अस्पताल कितना तैयार है. एके वर्मा ने बताया कि सर्जन नहीं होने की वजह से सर्जरी वाले मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाता है.