बेतिया:जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित गौनाहा प्रखंड के कैरी गांव का रहने वाला अर्जुन का बचपन से ही दोनों हाथ खराब है. जिसके बाद उसने अपनी दिव्यांगता को मात देते हुए अपने पैरों से लिखना सिखा. कैरी गांव का रहने वाला अर्जुन बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. 6 साल पहले उसके पिता का देहांत हो चुका है. तो वहीं, 2 साल पहले उसके छोटे भाई की भी मौत हो चुकी है. इसके बावजूद अर्जुन ने हिम्मत नहीं हारी. अपनी पढ़ाई से लेकर दिनचर्या के सभी काम वो अपने पैर के सहायता से करता है.
बेतिया: पैरों से लिख रहा इबारत, सीएम के आश्वासन के बाद भी नहीं मिली अब तक मदद
जिले के गौनहा प्रखंड के कैरी गांव का रहने वाला अर्जुन ने दिव्यांगता को मात देते हुए अपने पैरों से लिखना सीख लिया. सीएम के आश्वासन के बावजूद प्रशासन द्वारा अर्जुन को हर महीने सिर्फ 400 रुपये मदद के तौर पर मिलती है. प्रशासन के इस उदासीन रवैये के कारण अर्जुन की कला दमतोड़ रही है.
जज्बे को सलाम, मदद के नाम पर सिर्फ हर महीने 400 रुपये
वहीं, अपनी लाचारियों को मात देकर वह अपने घर से प्रतिदिन दो किलोमीटर दूर स्थित गौनाहा प्रखंड के राजकीय उत्क्रमित विद्यालय वोट गांव जाकर पढ़ाई करता है. वहीं, इस जज्बे को देखकर स्कूल के शिक्षक और छात्र सहित आसपास के लोग उसके हौसले को सलाम करते हैं.
वहीं, जब प्रदेश के मुखिया जिले के गौनहा के सोफा मंदिर के दौरे पर आए थे. तब अर्जुन की मां ने उनसे मदद की गुहार लगाई थी. सीएम नीतीश कुमार के प्रशासन को निर्देश के बाद भी अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिल सका है. प्रशासन ने मदद के नाम पर सिर्फ हर माह 400 रुपये दिव्यांग पेंशन ही मात्र दे रही है.