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बिहार की इस मां के हैं 11 हजार 'बेटे', ऐसे हुआ ये चमत्कार - etv bharat

पश्चिम चंपारण जिले की 90 वर्षीय ललिता देवी (90 Year Old Lalita Devi of West Champaran) एक ऐसी मां है, जिसके करीब 11 हजार बेटे हैं. ललिता देवी अपने सभी बेटों का बिना किसी भेदभाव के एक जैसा ख्याल रखती हैं. इस मां से जिला प्रशासन भी अंजान है और आप भी इस मां के 11 हजार बच्चों की कहानी जानकर हैरान हो जाएंगे. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

ललिता देवी पौधों की मां
ललिता देवी पौधों की मां

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Published : Apr 11, 2022, 6:18 AM IST

पश्चिम चंपारण: 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.' ये कहावत पश्चिमी चंपारण जिले की एक मां पर चरितार्थ होती है. जिले के लौरिया प्रखंड के रमोली बेलवा गांव (Ramoli Belwa Village of Lauriya Block) में एक ऐसी मां है, जिसके करीब 11 हजार बेटे हैं. यह मां सभी बेटों का एक जैसा ख्याल रखती है. इनके लिए सभी बेटे एक समान हैं. इस मां की कहानी पूरे जिले में चर्चा का विषय है. अपने बेटों से बेपनाह प्यार करने वाली ये मां अपने बेटों के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती है, लेकिन इस मां की कहानी से जिला प्रशासन अनजान है. इस मां की कहानी जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.

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ललिता देवी पौधों की मां:11 हजार बेटों की मां पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया प्रखंड के रमौली बेलवा गांव की 90 वर्षीय ललिता देवी हैं. जिन्होंने अपने गांव में लगभग 11 हजार पौधों को लगाया है. ललिता देवी को पौधों की मां (Lalita Devi Mother of Plants) कहते हैं. ललिता देवी बचपन से ही पौधे लगाती रहीं हैं. इन्हें जहां जगह मिली उन्होंने वहीं पर पौधा लगा दिया और आज वह पौधे बड़े हो चुके हैं. जिसे देखकर 90 वर्षीय ललिता देवी बहुत खुश हैं. अपने इन्हीं बच्चों को देखकर वह कहती हैं कि मैं जब उनकी छांव में बैठती हूं तो मुझे बड़ा सुकून महसूस होता है.

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बचपन से लगा रही हैं पौधे: 90 वर्षीय ललिता देवी ने बताया कि वह बचपन से ही पौधा लगाते आई है. ललिता देवी बताती है कि उनका मायका भितिहारवा श्रीपुर गांव हैं. उन्होंने भितिहारवा गांधी आश्रम श्रीपुर स्कूल से पढ़ाई की है. उन्होंने बताया कि मैंने अमर चरखा भी चलाया है. अपने मायके में ही बचपन से पौधा लगाते आई हूं और मैं कोशिश करती हूं कि आगे और भी लोग पौधा लगाते रहें.

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ललिता देवी की पौधे लगाने की मुहिम:ललिता देवी एक संपन्न परिवार से आती हैं. उनके दादा हरिलाल यादव भितिहारवा श्रीनगर गांव के रहने वाले थे. जो एक शिक्षक थे. उनके पिता रामाश्रय यादव भी शिक्षक थे. एक अच्छे परिवार के होने के नाते ललिता देवी की शादी भी शिक्षक से हुई. जिनका नाम स्वर्गीय जगदेव प्रसाद यादव है. ललिता देवी बताती हैं कि उन्होंने पौधा लगाने की ये मुहिम कभी खत्म नहीं की है.

''मैंने अब तक 11 हजार पौधे लगाए हैं. उनकी देखरेख भी मैं खुद करती हूं. पौधों की जड़ के पास खुदाई करना, पानी व खाद डालना, मवेशियों से बचाना यह काम खुद करती हूं. जो पौधे लगाए हैं उनमें आम, सागवान, नीम, जामुन, शीशम, पॉपुलर, लीची, महोगनी समेत कई प्रकार पौधे हैं.''-ललिता देवी, पौधों की मां

अब तक लगाए 11 हजार पौधे: ललिता देवी ने बताया कि 5 साल पहले उनके दो बेटों की मौत भी बीमारी से हो गई थी. शोकाकुल ललिता देवी ने हिम्मत की और बेटों की याद में 1 महीने के अंदर 500 से अधिक पौधे लगा दिए. वो इन्हीं पौधों को अपने बेटे मानती है. हालांकि, वह अब तक 11,000 पौधे (Planted 11 Thousand Plants in West Champaran) लगा चुकी हैं. उनका अभियान अभी भी जारी है. जब भी मौका मिलता है तो वह पौधा लगाती है.

लोगों के लिए बनीं प्रेरणा स्रोत:ललिता देवी बताती है कि वह सुबह सुबह उस बागवान में जाती हैं और उन पौधों को हाथ जोड़कर पूजा करती हैं. ललिता देवी गांव की महिलाओं को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करती है. मात्र सातवीं कक्षा तक पढ़ने वाली ललिता देवी कहती हैं कि पौधे लगाने का सिलसिला बचपन से ही रहा और यह सिलसिला जब तक मैं जीवित रहूंगी तब तक रहेगा.

90 साल की उम्र में कमाल का जज्बा: 90 वर्षीय ललिता देवी नाम व पहचान की मोहताज नहीं है, लेकिन उन्हें सरकार की नजर नहीं देख पा रही है उनका यह मलाल है. ललिता देवी गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं. इस उम्र में ऐसा जज्बा रखने वाली ललिता देवी को ईटीवी भारत भी सलाम करता है. उनका यह जज्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन ललिता देवी की तरफ एक बार जिला प्रशासन को देखना जरूर चाहिए, उन्हें सम्मानित करना चाहिए, ताकि ललिता देवी की सम्मान की कहानी पूरे देश में प्रसिद्ध हो. इन्हें देखकर लोग ललिता देवी से प्रेरणा लें और कुछ कर गुजरने का हिम्मत जुटा सकें.

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