पश्चिमी चंपारण: जिले के चकदहवा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय को दूसरे विद्यालय में परिवर्तन कर देने के बाद सैकड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. यह गांव बगहा 2 प्रखण्ड के इंडो- नेपाल सीमा के अंदर अतिपिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आता है. इस विद्यालय में 150 बच्चे शिक्षा ले रहे थे. लेकिन दूसरे विद्यालय का रास्ता घने जंगल के रास्ते होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं.
शिक्षा से वंचित हो रहे बच्चे
दरअसल, जिले के वाल्मीकिनगर के भेड़िहारी पंचायत अंतर्गत पड़ने वाले चकदहवा में वर्ष 2004 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चकदहवा की स्थापना की गई थी. विद्यालय की स्थापना के पीछे सरकार की शायद यही सोच रही होगी कि जंगल के बीचो बीच गण्डक नदी के किनारे बसे इस अतिपिछड़े क्षेत्र के भी बच्चे पढ़ लिख कर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे. यही वजह थी कि वर्षों से झोपड़ी में ही विद्यालय संचालित होता आ रहा था. ताकि बच्चे शिक्षा से वंचित न रह पाएं. इस झोपड़ी नुमा विद्यालय में हीं 150 से ऊपर बच्चे- बच्चियों की जिंदगी संवर रही थी. लेकिन अब सरकार ने इस विद्यालय को गांव से 5 किमी दूर इसी पंचायत के रोहुआ टोला के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शामिल कर दिया है. इस विद्यालय में गांव के 3 टोला के बच्चे पढ़ने जा रहे थे.