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वैशाली में सरकारी स्कूल की खुली पोल, बोरा पर बैठकर झुंड में छात्र दे रहे परीक्षा

वैशाली के सहदई बुजुर्ग प्रखंड से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का जमीन पर बैठकर परीक्षा देने का वीडियो (Video of government school children) सामने आया है, जो शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है. 8वीं क्लाश तक के बच्चे इंड में जमीन पर बैठकर परीक्षा देते हैं. बेंच डेस्क उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्चों से लेकर प्रधानाध्यापक तक परेशान हैं. पढ़ें पूरी खबर.

सरकारी स्कूल में परीक्षा देते स्कूली बच्चे
सरकारी स्कूल में परीक्षा देते स्कूली बच्चे

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Published : Oct 17, 2022, 5:35 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 4:03 PM IST

वैशाली:बिहार सरकार भले की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लाख दावे करें, लेकिन इसकी जमीनी सच्चाई बेहद चौंकाने वाला है. वैशाली जिले के शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के स्कूलों की हालत बेहद खस्ता है. भवन तो जर्जर है हीं, उपर से स्कूल में बेंच डेस्क तक नहीं है. बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. ज्यादा बारिश होने पर बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है. जिले के एक स्कूल का वीडियो सामने आया है, जिसमें आठवीं क्लास के छात्र झुंड बनाकर जमीन पर बैठकर परीक्षा देते दिख रहे हैं (school Children Sitting On Ground Giving Exam).

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शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: वैशाली के सहदेई बुजुर्ग प्रखंड में सरकारी विद्यालयों के बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा देने और पढ़ने को मजबूर हैं. बताया जाता है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र के सभी सरकारी विद्यालयों में बेंच डेस्क की भारी कमी है, जिसके चलते बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना और परीक्षा देना पड़ रहा है.

जमीन पर बैठकर परीक्षा दे रहे छात्र: इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बिहार शिक्षा परियोजना के निर्देश पर 12 सितंबर से सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अर्धवार्षिक मूल्यांकन का कार्य प्रारंभ हुआ है, जो 18 सितंबर तक चलेगा. प्रखंड में 45 मध्य और 40 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं. एक-दो विद्यालयों को छोड़कर लगभग सभी विद्यालयों में बेंच डेस्क की भारी कमी है.

स्कूल में नहीं है बेंच डेस्क: सामान्य तौर पर सरकारी मध्य विद्यालयों में ऊपर क्लास के बच्चे बेंच डेस्क पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. वहीं प्राथमिक विद्यालयों में भी केवल कक्षा चार-पांच के लिए ही बेंच डेस्क उपलब्ध है. लगभग सभी नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों में बेंच डेस्क है ही नहीं. बच्चे या तो अपने घरों से बैठने के लिए बोरा या अन्य साधन लेकर आते हैं, या फिर वह जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

शिक्षा विभाग को कई बार लिखा गया पत्र: ठंडी, गर्मी और बरसात के मौसम में भी बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ने और परीक्षा देने को मजबूर हैं. एक ओर सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं दूसरी ओर सरकार के सभी दावे जमीन पर पूरी तरह दम तोड़ती नजर आती है. शिक्षा विभाग की ओर से कई-कई वर्षों पर मध्य विद्यालयों को कुछ बेंच डेस्क उपलब्ध करा दिया जाता है. जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान होता है. जिसके कारण स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं होता दिखता.

स्कूल की व्यवस्था से शिक्षक भी परेशान: जब तक नया बेंच डेस्क उपलब्ध कराया जाता है, तब तक पुराने बेंच डेस्क क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं. ऐसे में स्थिति फिर वही ढाक के तीन पात वाली है. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक विलशन कुमार ने बताया कि कई बार विभाग को इस संबंध में लिखा गया है. विद्यालय में बेंच डेस्क की भारी कमी है, उसको दूर करना जरूरी है. मजबूरी में बच्चों का एग्जाम और पढ़ाई जमीन पर होती है. वहीं परीक्षा दे रहे छात्र विकास कुमार ने बताया कि ज्यादातर बच्चे जमीन पर बैठकर ही परीक्षा देते हैं.

"अभी अर्धवार्षिक परीक्षा चल रही है. आज सामाजिक विज्ञान का परीक्षा चल रहा है. हम सभी जमीन पर बैठकर परीक्षा दे रहे हैं. इस कमरे में साथ 65 विद्यार्थी हैं. पूरे विद्यालय के बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा दे रहे हैं. यह पढ़ाई भी जमीन पर ही बैठकर करते हैं."- विकास कुमार, परीक्षार्थी

"यहां बैंच डेस्क की कमी है. कुछ है यहां तो बच्चे बैठते हैं. बाद बाकी सब नीचे ही बैठते हैं. इसके लिए विभाग को कई बार लिखा गया है, लेकिन अभी तक का कोई जवाब नहीं आया है. भवन जर्जर है, इसके संबंध में भी कई बार लिखा गया है. अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. बारिश के मौसम में बच्चे डिस्टर्ब हो जाते हैं. ज्यादा बारिश होती है तो बच्चों को छोड़ दिया जाता है. 710 बच्चों का यहां नामांकन है."- विलशन कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक

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Last Updated : Oct 18, 2022, 4:03 PM IST

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