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हाजीपुर में नाट्य महोत्सव के अंतिम दिन पटना, रांची और हाजीपुर की टीमों ने किया नाटकों का मंचन - ETV Bharat News

हाजीपुर में भिखारी ठाकुर की जयंती के मौके पर नाट्य महोत्सव का आयोजन किया गया. जहां पटना, रांची और हाजीपुर की टीमों ने अलग-अलग दिन तीन नाटकों का मंचन किया. नाट्य महोत्सव हाजीपुर स्थित गांधी आश्रम पुस्तकालय में मनाया गया. पढ़िये पूरी खबर.

नाटक का मंचन करते कलाकार
नाटक का मंचन करते कलाकार

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Published : Dec 24, 2021, 10:01 AM IST

हाजीपुर (वैशाली):बिहार के वैशाली में भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की जयंती (Bhikhari Thakur Birth Anniversary) के दिन से विभिन्न संस्थाओं द्वारा नाट्य महोत्सव (Natya Mahotsav In Hajipur) का आयोजन किया गया. हाजीपुर स्थित गांधी आश्रम पुस्तकालय में नाट्य महोत्सव (Natya Mahotsav At Gandhi Ashram Library) के अंतिम दिन जगदीश चंद्र माथुर मंच पर तीन नाटकों का अलग-अलग सफलतापूर्वक मंचन किया गया. पटना, रांची और हाजीपुर की टीमों ने अलग-अलग दिनों में नाटकों का मंचन किया.

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सामाजिक स्तर पर हास्य, व्यंग के नाटकों के जरिए संदेश देने वाले नाटकों का सफलतापूर्वक मंचन किया गया. जिसमें पहला नाटक बांछाराम का मंचन किया गया. हाजीपुर के क्षतिज प्रकाश के द्वारा इस नाटक को प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा डिवाइन सोशल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन पटना और रांची की नाटक मंडली ने अलग-अलग नाटक का मंचन किया. वही कार्यक्रम का संकलन और प्रस्तुति जीवेश कुमार सिंह के द्वारा की गई.

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नाट्य महोत्सव की समाप्ति के बाद क्षितिज प्रकाश ने कहा कि नाटक का आयोजन किया गया था. यह कार्यक्रम 2013 से आयोजित की जा रही है. जो कि भिखारी ठाकुर की जयंती पर होता है. उन्हीं को समर्पित करते हैं. यह 9 दिवसीय और 15 दिवसीय कार्यक्रम होता है. जो एक साथ छपरा, पटना और हाजीपुर में किया जाता है. उन्होंने कहा कि यहां नौ दिवसीय कार्यक्रम किया गया. पहले अम्रपाली नगर भवन में होता था. यहां राज्य से बाहर की भी टीम आती है, काफी जुड़ाव है.

वहीं पटना की टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि एक नाटक स्थानीय हाजीपुर का था. वहीं दूसरी पटना की टीम की थी और तीसरी टीम रांची की थी, जिन्होंने हिंदी नाटक का मंचन किया. उन्होंने कहा कि इसका पूरा श्रेय शहर के क्षितिज प्रकाश को जाता है. जिन्होंने काफी मेहनत किया. डॉ शैलेंद्र ने कहा कि कोरोना काल में सभी लोग प्रभावित हुए हैं. उसमें सबसे ज्यादा जो कुछ वर्ग प्रभावित हुए हैं उसमें आर्टिस्टों का वर्ग भी है. इसके बावजूद हम लोगों ने भिखारी ठाकुर की जयंती मनायी.

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