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है नमन तुमको : बोले शहीद के पिता- चीन और पाक से बदला ले भारत, दूसरा बेटा भी तैयार

शहीद जवान जय किशोर के पिता राज कपूर सिंह ने कहा है कि उन्हें अपने बेटे के शहादत पर गर्व है. साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि वे चीन से बदला जरूर लें.

vaishali
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Published : Jun 19, 2020, 9:26 PM IST

वैशाली:देश के लिए मेरा बेटा शहीद हो गया. मेरे दो बेटे और हैं वे भी देश की रक्षा में अपनी जान दे देंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम 2000 जवानों की आहुती और देंगे. लेकिन चीन से बदला जरूर लेंगे. मेरी तमन्ना है कि चीन और पाकिस्तान को धवस्त कर दिया जाए. ये बातें वैशाली के शहीद जवान जय किशोर के पिता राज कपूर सिंह ने कही है. बता दें कि भारतीय सेना के जवान जय किशोर सिंह भारत-चीन सेना की झड़प में शहीद हो गए थे. शुक्रवार को उनके पैतृक गांव चकफतेह में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

गांव में मातम
जवान के शहादत की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव चकफतेह पहुंची. ग्रामीणों के बीच मातमी सन्नाटा पसर गया. शहीद जवान जय किशोर सिंह के गांव वाले उन पर काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. साथ ही लोगों में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है. वहीं स्थानीय लोगों ने भारत सरकार से चीन पर जल्द कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी कर रहे हैं. शहीद के पिता का कहना है कि मुझे मेरे बेटे पर गर्व है, देश की सेवा के लिए मेरे दो और बेटे तैयार हैं, मैं उन्हें भी सीमा पर भेजूंगा.

देखें पूरी रिपोर्ट

भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प
बता दें कि 45 साल बाद भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़प हुई. जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं. सूत्रों के अनुसार चीन के 35 सैनिक हताहत हुए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के सूत्रों ने पुष्टि की है कि गलवान घाटी में मारे गए लोगों में चीनी यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल हैं. चीनी कमांडर की मौत 15/16 जून की रात हुई हिंसक झड़प में हुई है.

गलवान घाटी का इतिहास

गलवान घाटी की इतिहास की बात करें तो गलवान घाटी लद्दाख के पास स्थित है जो विवादित क्षेत्र अक्साई चीन में है. एलएसी अक्साई चीन को भारत से अलग करती है. लदाख के चुसूल काउंसिल के अंतर्गत गलवान क्षेत्र आता है. गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच स्थित है जहां से भारत-चीन सीमा काफी करीब है. गलवान घाटी क्षेत्र का इतिहास बेहद दर्दनाक है. लदाख में एलएसी पर स्थित गलवान इलाके को चीन ने अपने कब्जे में ले रखा है. चीन के अतिक्रमण को रोकने के लिए भारतीय जवान गलवान नदी में भी नाव के जरिए नियमित गश्त करते हैं.

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