वैशाली: बिहार के वैशाली में जिला जज के प्रयास से लोक अदालतमें 1 करोड़ 85 लाख का सबसे बड़ा समझौता (Settlement of 1 crore 85 lakh in Vaishali) हुआ है. यह समझौता हाजीपुर व्यवहार न्यायालय के लोक अदालत में किया गया. मामला बाइक हादसे में चार वर्ष पूर्व राजस्थान में इंजीनियर की मौत का था. समझौते के बाद अब एक महीने के अंदर इंश्योरेंस कंपनी को राशि देनी होगी. पिता की मौत के छह महीने बाद जन्मी पुत्री के लिए अदालत ने विशेष प्रावधान रखा है.
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राजस्थान में हुई थी दुर्घटनाः चार साल पुराने राजस्थान में हुए एक रोड एक्सीडेंट के मामले में लोक अदालत का शायद सबसे बड़ी राशि का समझौता हुआ है. इसके तहत एक करोड़ 85 लाख रुपये मृतक के आश्रितों को दिए जाएंगे. राजस्थान में 4 साल पहले सड़क दुर्घटना में एक इंजीनियर की मौत हो गई थी. इसमें हर्जाने का क्लेम इंश्योरेंस कंपनी यूनीवर्सल सोम्पो जेनरल इंश्योरेंस पर मृतक के परिजनों ने हाजीपुर व्यवहार न्यायालय ने किया था. जिला अध्यक्ष सत्येंद्र पांडे के प्रयासों से दोनों पक्षों का आपसी समझौता कराकर इतनी बड़ी राशि का मुआवजा दिया गया है.
अबतक की सबसे बड़ी राशि का समझौताः इस विषय में इंश्योरेंस कंपनी की ओर से मामले को देख रहे सीनियर एडवोकेट राजेश शुक्ला ने बताया कि यह एक समझौता सेटलमेंट है. रोड एक्सीडेंट का यह मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का है. यहां सड़क दुर्घटना में एक इंजीनियर की मौत हो गई थी. जब वह बाइक से आ रहे थे, एक बड़ी ट्रक से उनका एक्सीडेंट हो गया था. इसके कारण उनकी मौत हो गई थी. इंजीनियर की ऑन स्पॉट मौत हो गई थी. वह बिहार के रहने वाले थे. उन लोगों ने स्थानीय स्तर पर हाजीपुर व्यवहार न्यायालय में जिला और सत्र न्यायाधीश के पास केस फाइल किया था. मुआवजे का वह केस एडीजे 5 के यहां ट्रायल में चल रहा था. इसमें बीमा कंपनी की ओर से मैं मामले को देख रहा था. केस को देखने के बाद मुझे ऐसा लगा कि लोक अदालत में इसका समझौता करवा देना चाहिए.
अधिवक्ता ने लोकअदालत में सेटेलमेंट के लिए किया था अनुरोधः अधिवक्ता ने कहा कि इसका अनुरोध मैंने जिला जज से भी किया. साथ ही कंसर्न कोर्ट से भी अनुरोध किया. उन लोगों ने भी सेटलमेंट के लिए भी अपने प्रयास किए. बीमा कंपनी के दावेदार के जो परिवार वाले हैं, उनमें मृतक की पत्नी शामिल हैं. क्योंकि मृतक की उम्र तब काफी कम थी. 30 साल की उम्र में दुर्घटना हुई थी और मृतक की मृत्यु के बाद एक बच्ची का जन्म हुआ था. जब एक्सीडेंट हुआ था, मृतक की पत्नी उस वक्त प्रेग्नेंट थी. मृतक पेशे से इंजीनियर थे जिनकी सैलरी 1 लाख 5 हजार थी. उनके ऊपर चार-चार लोग निर्भर थे. यह सब देखते हुए नालसा का जो चार्ट है और जो कैलकुलेशन फैक्टर है. इन सब को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने नेगोशिएशन स्टार्ट किया. दो करोड़ 16 लाख की मांग थी. इसको हम लोगों ने 1 करोड़ 85 लाख में फाइनली सेटलमेंट किया और जिला जज के प्रयास से सेटलमेंट करके फाइनल अवार्ड तैयार किया. अब तक इतना बड़ा अमाउंट का सेटलमेंट लोक अदालत में पहले नहीं हुआ था.
"यह एक समझौता सेटलमेंट है. रोड एक्सीडेंट का यह मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का है. यहां सड़क दुर्घटना में एक इंजीनियर की मौत हो गई थी. इंजीनियर की ऑन स्पॉट मौत हो गई थी. वह बिहार के रहने वाले थे. उन लोगों ने स्थानीय स्तर पर हाजीपुर व्यवहार न्यायालय में जिला और सत्र न्यायाधीश के पास केस फाइल किया था. मुआवजे का वह केस एडीजे 5 के यहां ट्रायल में चल रहा था. इसमें बीमा कंपनी की ओर से मैं मामले को देख रहा था. केस को देखने के बाद मुझे ऐसा लगा कि लोक अदालत में इसका समझौता करवा देना चाहिए. इसका अनुरोध मैंने जिला जज से भी किया. साथ ही कंसर्न कोर्ट से भी अनुरोध किया. नालसा का जो चार्ट है और जो कैलकुलेशन फैक्टर है. इन सब को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने नेगोशिएशन स्टार्ट किया. दो करोड़ 16 लाख की मांग थी. इसको हम लोगों ने 1 करोड़ 85 लाख में फाइनली सेटलमेंट किया और जिला जज के प्रयास से सेटलमेंट करके फाइनल अवार्ड तैयार किया. अब तक इतना बड़ा अमाउंट का सेटलमेंट लोक अदालत में पहले नहीं हुआ था" -राजेश कुमार शुक्ला, अधिवक्ता, हाजीपुर व्यवहार न्यायालय
बच्ची के नाम होगी 60 प्रतिशत राशिः इस विषय में जिला जज सत्येंद्र पांडे ने बताया कि एक इंजीनियर थे, जिनकी मृत्यु हो गई थी. उनके माता-पिता, पत्नी, बच्चे क्लेमेंट थे. यूनिवर्सल सोम्पो इंश्योरेंस कंपनी थी. कई मीटिंग हम लोगों को करनी पड़ी. तब जाकर एक्सिडेंटल केस में इतने बड़े अमाउंट के मामले में सफलता मिली है. इसमें इस केस का डिस्पोजल हो चुका है. लोक अदालत में सेटेलमेंट अमाउंट अब तक हम लोगों ने टोटल 2 करोड़ 64 लाख का किया है. इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि जो मुझसे मिली है वह क्लेम केस 2019 के केस में दोनों ही पक्षों को रखकर 1 करोड़ 85 लाख में सेटल किया गया है. इस क्लमेंट में 5 साल की एक बच्ची भी है तो 60% उस बच्ची के नाम से अमाउंट फिक्स करने को कहा गया. जब तक वह बच्ची बालिग न हो जाए.
"एक इंजीनियर थे, जिनकी मृत्यु हो गई थी. उनके माता-पिता, पत्नी, बच्चे क्लेमेंट थे. यूनिवर्सल सोम्पो इंश्योरेंस कंपनी थी. कई मीटिंग हम लोगों को करनी पड़ी. तब जाकर एक्सिडेंटल केस में इतने बड़े अमाउंट के मामले में सफलता मिली है. इसमें इस केस का डिस्पोजल हो चुका है. लोक अदालत में सेटेलमेंट अमाउंट अब तक हम लोगों ने टोटल 2 करोड़ 64 लाख का किया है. इसमें सबसे बड़ी उपलब्धि जो मुझसे मिली है वह क्लेम केस 2019 के केस में दोनों ही पक्षों को रखकर 1 करोड़ 85 लाख में सेटल किया गया है. इस क्लमेंट में 5 साल की एक बच्ची भी है तो 60% उस बच्ची के नाम से अमाउंट फिक्स करने को कहा गया. जब तक वह बच्ची बालिग न हो जाए"- सतेंद्र पांडेय, जिला जज, हाजीपुर