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बिहार की दशा और दिशा बदलने में सहायक होंगी प्रवासी पक्षियां, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक का खुलासा

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Published : Dec 19, 2022, 10:42 AM IST

Updated : Dec 19, 2022, 12:07 PM IST

वैशाली में बरैला झील (Baraila Lake in Vaishali) पर जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक ने एक रिसर्च किया है. जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि झील पर आने वाले विदेशी प्रवासी पक्षी बिहार की दशा और दिशा बदलने में सहायक हो सकते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक

वैशाली: बिहार के वैशाली मेंजूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक(Scientists of Zoological Survey of India in Vaishali)ने एक खुलासा किया है, जो बिहार की दशा और दिशा बदलने में सहायक हो सकती है. जिले के जंदाहा थाना क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ में फैले प्राचीन बरैला झील में सर्दी के मौसम में आकर्षित होकर अद्भुत पक्षियों की टोली आती है. यह सभी पक्षी रसिया, अमेरिका और नॉर्दन कंट्री से भारत आते हैं. हालांकि यहां चंद लालची शिकारियों के द्वारा उनके शिकार की पूरी व्यवस्था की जाती है. जिसके कारण अब झील में प्रवासी पक्षियों का आना बेहद कम हो गया है. इसके पीछे झील में उपजने वाले खास किस्म का जलिए पौधा नरकट भी एक खास वजह है.

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बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है यह झील:जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की पटना साखा के वैज्ञानिक डॉक्टर गोपाल शर्मा अपनी टीम के साथ पांच दिवसीय सर्वे के लिए बरैला झील आए थे. उन्होंने कई महत्वपूर्ण चीजों का कलेक्शन किया लेकिन झील में यात्रा करने के दौरान तमाम जगहों पर पक्षियों को फसाने वाले जाल लगे हुए मिले. इतना ही नहीं इन जालों में कई जीवित और मृत पक्षी भी पाए गए. डॉ गोपाल शर्मा ने जब स्थानीय लोगों से बात कि तो उन्हें पता लगा कि यहां 1100 रुपये और 2200 रुपये जोड़ा के दर से मेहमान पक्षियों की बिक्री होती है. डॉ गोपाल शर्मा का कहना है कि अगर यह पक्षियों का शिकार बंद हो जाए और सरकार ध्यान दे दो तो पर्यटन के दृष्टिकोण से यह जगह इंडिया के मैप पर आ सकता है और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है. इसके लिए सरकार को निगरानी करनी पड़ेगी. शिकारियों से पक्षियों को बचाना पड़ेगा, नरकट को हटाना पड़ेगा और प्रॉपर मॉनिटरिंग करनी पड़ेगी.



विदेशी मेहमानों के अनुकूल है बरैला झील: डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि विदेशों से आने वाले पक्षियों के लिए यह झील बेहद महत्वपूर्ण है. नवंबर के अंत से लेकर फरवरी के शुरुआत तक इन पक्षियों के लिए यह जगह काफी पसंदीदा है. यहां उनके लैंडिंग करने के लिए पर्याप्त जगह है, साथ ही जो जलीय भोजन चाहिए वह काफी मात्रा में उपलब्ध है, जिसको अलगी कहा जाता है. यही कारण है कि सेंट्रल एशिया कि रसियन पक्षी बार हेडेड गूज की प्रजाति यहां आती है. इस तरह की कई प्रजातियों के पक्षी का आना विदेशों से होता है. यह तमाम पक्षियां शाकाहारी है इसलिए इनके लिए बरैला झील से बेहद उपयुक्त है. यहां 15 तरह की विदेशी पक्षियों को देखा गया है.

पक्षियों के अलावा भी कई जलीय प्रजाति महत्वपूर्ण है:पांच दिवसीय सर्वे के बाद डॉक्टर गोपाल शर्मा ने बताया कि हम लोगों ने यहां काफी कुछ देखा है उनकी तस्वीर भी ली है. कई एनिमल हमने कलेक्ट किए हैं खासकर घोंघा, सीतूआ प्रजाति के कई मछलिया मिली हैं. कई ऐसे विदेशी पक्षी है जो बड़ी चिड़िया होने के साथ साथ बेहद खूबसूरत भी होती है. ऐसा ही पक्षी है बार हेडेड गुज जो हिमालय से एक हजार फीट ऊपर की ऊंचाई से उड़कर रसिया से भारत आते हैं. यह बेहद खूबसूरत होता है. इसके अलावा पर्पल एलो लवर यह 5 फिट तक ऊचां होता है और बेहद खूबसूरत भी दिखता है. हालांकि इसे भी लोगों ने जाल में फंसा कर बेचने का काम किया है.

राम जी से जुड़ी है झील की कहानी: स्थानीय लोगों के अनुसार मान्यता है कि जनकपुर जाने के क्रम में श्री रामचंद्र और लक्ष्मण दोनों इस झील से होकर गुजरे थे. और झील की खूबसूरती को देखकर यहां कुछ देर के लिए रुके भी थे. इसलिए सब लोगों ने कहां था "बर अइला" जो बाद में बदल कर बरैला झील हो गया. भौगोलिक दृष्टिकोण से देखें तो बरैला झील का एक सिरा पातेपुर निकलता है जिसे मिथला का प्रवेश भी कहते है. इस वजह से भी इस कथा को बल मिलता है.

कई स्थानीय लोग करते हैं निगरानी: ऐसा नहीं है कि विदेशों से आने वाले पक्षियों का सिर्फ शिकारी ही किया जाता है. स्थानीय पंकज कुमार चौधरी जैसे लोगों ने एक टोली बना रखी है जो इन पक्षियों की समय-समय पर रक्षा करते हैं. कई बार इन लोगों के द्वारा पकड़े गए पक्षियों को मुक्त भी कराया गया है. हालांकि शिकारी इतने चलाक और इतने बड़े पैमाने पर पक्षियों का शिकार करते हैं कि कई बार इन ग्रामीणों के मुस्तैद होने के बावजूद शिकारी प्रवासी पक्षियों का शिकार करने में सफल हो जाते हैं. यही कारण है कि धीरे-धीरे पक्षियों का आना कम हो रहा है. इन ग्रामीणों के द्वारा कई बार बिहार सरकार और भारत सरकार को इस बाबत जानकारी भी सौंपी गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस झील में नौका विहार कर चुके हैं तब उन्होंने भरोसा भी दिलाया था कि झील को बेहतर बनाया जाएगा लेकिन अब तक कोई सार्थक पहल नही हुई है.

"मैं यह कह सकता हूं कि इसमें जो भी एक्वेटिक एनिमल्स है उसको हम लोगों ने देखा है, उसके फोटोग्राफ्स लिए हैं. कुछ ऐसे एनिमल को हमने कलेक्ट किया है खास कर घोंघा और सिथुआ प्रजाति के अलावे कई अन्य प्रजाति है. यहां कई सारे फिसेज मिलते हैं जो सिर्फ और सिर्फ वन एक्वेटिक है, यह बेटलैंड फिसेज है. यहां कई तरह के रेप्टाइल्स मिल रहे हैं, कई तरह के मैमल्समिल रहे हैं लेकिन इन जगहों को सुरक्षित रखने की जरूरत है. अगर आप इनको बचा पाएंगे तो मैं समझता हूं कई सारे ऐसे टूरिस्ट स्पॉट्स डेवलप हो सकते हैं जो सरकार को सीधे नफा पहुंचाएंगे. सरकार के प्रयास अगर अच्छे रहे तो इसे पर्यटन के दृष्टिकोण से इंडिया के मैप में बहुत अच्छा स्थान मिल सकता है. साथ ही नरकट को संभालना होगा और शिकारियों पर प्रतिबंध लगाना होगा. जो दिन-प्रतिदिन जाल लगा रहे हैं, उनको मना करना होगा."- डॉ गोपाल शर्मा, वैज्ञानिक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पटना

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Last Updated : Dec 19, 2022, 12:07 PM IST

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