वैशालीः केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट आ चुका है. सबकी नजर इस पर थी. बजट पेश हो जाने के बाद अब विपक्ष की प्रतिक्रिया भी आने लगी है. इसी कड़ी में आरजेडी ने भी बजट पर टिप्पणी की है. पार्टी के प्रवक्ता और विधायक डॉ. रामानुज प्रसाद ने बजट को छलावा बताया है.
डॉ. रामानुज प्रसाद ने कहा कि बजट का अध्ययन करने के बाद ही इस पर बयान दिया जाएगा. लेकिन मोदी सरकार जिस तरह अपने पहले कार्यकाल में जनता तो सब्जबाग दिखाई थी और जुमलों के सहारे लोगों को ठगी था. उसी प्रकार इस कार्यकाल में भी सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों, मजदूरों, गरीबों और युवाओं के हित में नहीं है यह बजट.
अपने समर्थकों के साथ आरजेडी के प्रवक्ता डॉ. रामानुज प्रसाद 'छीन रहे हैं रोजगार'
आरजेडी विधायक ने कहा कि पीएम मोदी प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करके सरकार में आए थे. जबकि आर्थिक मंदी के कारण लोगों के रोजगार छिन रहे हैं. सभी सेक्टरों में छटनी का दौर जारी है. देश कंगाल और बदहाल हो गया है. उन्होंने कहा कि इस बजट से ज्यादा आश नहीं थी. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए देश को लड़ाने की नीति पर काम कर रही है.
'सरकारी संस्थानों का हो रहा नीजीकरण'
डॉ. रामानुज प्रसाद ने कहा कि सरकार रोजगार देने के बदले देश को सीएए और एनआरसी में उलझा कर रखना चाहती है. सारे सरकारी संस्थानों का नीजीकरण किया जा रहा है. सरकार ने रेल, सेल, भेल और बीएसएनएल को बेच दी. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया को भी बेच दिया गया और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को बेचने की तैयारी की जा रही है. सकार कुल 11 कंपनियों को बेच रही है.
आरजेडी विधायक ने कहा कि रेल क्रोशिंग को मानव रहित करने की बात चल रही है. सरकार से हमारी मांग है कि यदि ऐसा किया जाता है कि तो उन क्रोशिंग पर काम कर रहे लोगों का रोजगार छिनना नहीं चाहिए. उन्हें दूसरी जगह पर रोजगार दिया जाए.
'चरम पर है महंगाई'
डॉ. रामानुज प्रसाद ने कहा कि देश का खजाना सरकार अंबानी और अदानी पर लूटा रही है. तमाम उद्योगपति देश का पैसा लेकर विदेश भाग गया और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहां कि सरकार की नाकामी है कि देश में महंगाई चरम सीमा है. डीजल-पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ रहे है और सब्जियों के भाव में आग लगी है. उन्होंने कहा कि पिछले बजट में किसानों को सब्जबाग दिखाया गया कि 6 हजार रुपये दिए जाएगें लेकिन चुनाव जीतने किए 2 हजार रुपये दिख गए. फिर किसानों के खाते में पैसे नहीं आए.