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सोनपुर मेले में चल रहा अंधविश्वास का खेल, भोले-भाले लोगों को फंसा रहें तांत्रिक और ओझा

सोनपुर मेले में तांत्रिक और ओझा झाड़ फूंक के बहाने पूजा और हवन भी करते हैं. इनके साथ आधे दर्जन लोग रहते हैं,. जो योजनाबद्ध तरीके से नौटंकी करते हैं और लोगों को अपने मकड़जाल में फंसाकर मोटी रकम ऐंठते हैं.

झाड़ फूंक लिए आए तांत्रिक और ओझा

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Published : Nov 19, 2019, 9:54 AM IST

वैशालीःसोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले में झाड़-फूंक के नाम पर ओझा और तांत्रिक भीड़ का फायदा खूब उठा रहे हैं. ये लोग निर्दोष लोंगो को अपने मायाजाल में फंसाने के लिये तरह-तरह का हथकंडे अपनाते हैं. सोनपुर के कालीघाट और पहलेजा घाट पर ऐसी ही कई तस्वीर देखने को मिल जाएगी.

सीधे साधे लोगों को फंसाते हैं तांत्रिक
सोनपुर मेले में पाखंडी ओझा और तांत्रिक भूत- प्रेत, जादू-टोना के झाड़-फूंक के बहाने सीधे साधे लोगों को अपने मकड़ जाल में फंसाते हैं, फिर उन पर किसी का साया, जादू- टोना, शरीर पर भूत, प्रेत होने की बात कह कर मोटी रकम ऐंठने की ताक में लगे रहते हैं.

झाड़ फूंक लिए आए तांत्रिक और ओझा

मेले में दूर-दूर से आते हैं लोग
सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में प्रदेश और अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं. कुछ लोग मनोरंजन के लिये आते हैं तो कुछ लोग अपनी परेशानी को दूर करने के लिए गंगा के विभिन्न घाटों पर स्नान कर बाबा हरिहरनाथ मंदिर में दर्शन करते हैं. इसी दौरान यहां आने वाले कई लोग तांत्रिक, ओझा के चक्कर में पड़ जाते हैं. भोले भाले गरीब निर्दोष लोग अपनी पीड़ा को उनसे विस्तार से बता देते हैं. इसके बाद ये तांत्रिक इनकी समस्याओं से मुक्त करने का भरोसा दिलाकर इन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं.

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योजनाबद्ध तरीके से करते हैं नौटंकी
ये तांत्रिक ओझा झाड़ फूंक के बहाने पूजा, हवन भी करते हैं. इनके साथ आधे दर्जन लोग रहते हैं. ये योजनाबद्ध तरीके से नौटंकी करते हैं. ओझा महिलाओं को सर घुमाने की बात कहकर उनसे उल्टा-पुलटा सवाल करता है. बहुत देर सिर घुमाने पर मुंह से अजीब आवाज निकालते हैं. जिससे पीड़ित के परिजन यह मान लेते हैं कि सचमुच सामने वाले पीड़ित पर किसी जादू- टोना, भूत-प्रेत का असर है, जिसकी झाड़-फूंक यहां हो जाएगी.

बयान देता दर्शक

आज भी अंधविश्वास में डूबे हैं लोग
वहीं, मेले में आए अधिकतर लोंगों ने इसे पाखंडी करार दिया है. कुछ लोगों ने इसे मनोरंजन के लिये देखने की बात बताई. सारण से आया पप्पू ने इसे अंधविश्वास बताया. उसने कहा कि 21 वीं सदी में हम चलें गए पर अंधविश्वास का पीछा अभी तक नहीं छुड़ा पाए.

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