वैशाली:हाजीपुर सदर अस्पताल का एक वीडियो बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था (Bihar Health System) की पोल खोल रहा है. जहां जरूरी कॉल (Patient Waiting For Ambulance To Start In Vaishali) पर जाने के लिए एंबुलेंस को बार-बार धक्का देना पड़ा. कई प्रयासों के बावजूद एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हो सका. वीडियो वैशाली जिला के मुख्यालय हाजीपुर सदर अस्पताल (Hajipur Sadar Hospital Video) का है. ऐसे में स्वास्थ विभाग पर कई सवाल उठ रहे हैं.
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वैशाली में धक्का मार एंबुलेंस इस वीडियो ने एक बार फिर वैशाली स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है. वीडियो में कई लोग एक एंबुलेंस को बार-बार धक्का देकर स्टार्ट करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन एंबुलेंस स्टार्ट होने का नाम नहीं ले रही है. एंबुलेंस को बार-बार धक्का मारकर स्टार्ट करने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि एक इमरजेंसी कॉल में एंबुलेंस को जाना था.
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आरएन कॉलेज हाजीपुर के पास से एक कॉल सदर अस्पताल को आया था. इसके बाद आनन-फानन में एंबुलेंस भेजा जाना था. लेकिन जब एंबुलेंस को स्टार्ट करने का प्रयास किया गया तो मामला अटक गया. काफी देर तक धक्का मार मारकर एंबुलेंस को हाजीपुर सदर अस्पताल में स्टार्ट करने का प्रयास किया गया. बावजूद एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई.
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इस विषय में एंबुलेंस चालक सुबोध सिंह ने बताया कि, एंबुलेंस के इंजन का एक पार्ट पिनियन खराब हो गया है. इवेंट कॉल में आरएन कॉलेज जाना था, जिसकी सूचना डीएस के पास आई थी. अब गाड़ी का पिनियन स्लिप हो गया है. हालांकि उससे जब पूछा गया कि, गाड़ी कब से खराब है तो चालक ने कहा वह आज ही आया है.
निश्चित तौर पर एंबुलेंस की जो दशा है, कुछ ऐसी ही दशा वैशाली जिले में स्वास्थ्य विभाग की भी है. जिसे किसी तरीके से धक्का मारकर चलाया जा रहा है. इस विषय में सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार मोहन ने कहा है कि, एंबुलेंस सेवा को निजी संस्था संचालित करती है. अस्पताल प्रशासन की ओर से संस्था से सभी एंबुलेंस का फिटनेस सर्टिफिकेट मांगा गया है. इस मामले में अस्पताल प्रशासन प्रमुखता से काम कर रहा है. बहुत जल्द सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा.
बिहार सरकार कहती है कि, उसकी प्राथमिकता स्वास्थ्य सेवा है. लेकिन जिस तरीके से जिले के प्रमुख सदर अस्पताल की तस्वीरें आए दिन सामने आ रही है. उससे साफ तौर से पता चलता है कि, सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मामला तब अक्सर अटक जाता है जब, व्यवस्था सरकारी कर्मियों को करनी हो और इस बीच में निजी कंपनियां काम संभाल रही हो.
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