वैशाली: बिहार में स्वास्थ्य महकमे की हालत कुछ ठीक नहीं है. यूं कहें कि हर जिले की तस्वीर अमूमन एक जैसी है. जहां डॉक्टरों की कमी से विभाग जूझ रहा है. वहीं, गणतंत्र की जननी वैशाली जिला भी इससे अछूता नहीं है.
सिविल सर्जन इंद्रदेव रंजन डॉक्टरों की है कमी
जिले की आबादी बढ़ती जा रही है, लेकिन डॉक्टरों की संख्या घट रही है. जिले में लगभग 40 लाख की आबादी पर मात्र 112 सरकारी डॉक्टर हैं. सिविल सर्जन इंद्रदेव रंजन ने ईटीवी भारत को बताया कि 266 की जगह मात्र 111 डॉक्टर कार्यरत हैं. जिले में सदर अस्पताल के अलावा दो रेफरल अस्पताल, एक अनुमंडल अस्पताल, 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 337 स्वास्थ्य उपकेंन्द्र हैं. हालांकि जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में भी मात्र 25 डॉक्टर हैं.
फार्मासिस्ट ड्रेसर और कंपाउंडर के पद रिक्त
जिले में फार्मासिस्ट, ड्रेसर और कंपाउंडर का पद वर्षों से रिक्त पड़ा है. विभाग को अवगत कराने के वाबजूद स्थिति जस की तस है. सिविल सर्जन ने इस संदर्भ में बताया कि कमी के कारण मरीजों के इलाज में कठिनाई होती है. खाली पड़े पदों पर बहाली को लेकर सीएस ने विभाग का बचाव किया. दलील तो यहां तक दी, कि ऐसी तस्वीर सिर्फ हमारे जिले की नहीं बल्कि पूरे बिहार की है.
सिविल सर्जन से बातचीत करते ईटीवी भारत के संवादाता महंगी दवाईयां बाहर से खरीदते हैं मरीज
सदर अस्पताल में दवाओं की भी किल्लत है. मरीजों का कहना है दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है. मजबूरन वो महंगी दवाईयां प्राईवेट मेडिकल दुकान से खरीदने के लिए मजबूर हैं.